conversation between air and water in Hindi
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हवा-- तुम बहुत शीतलता प्रदान करती हो पानी ।
पानी--- तुम भी मंद-मंद बहकर संपूर्ण पृथ्वी को शीतलता देते हो।
हवा-- प्रकृति इतनी तपती है जलतीं है लोग प्यासे होते हैं तो तुम उनकी प्रयास को बुझाने में सहायक होती है।
पानी-- तुम भी तो जोर से बहकर उनके अंतर्मन में शीतलता देते हो।
पानी--- तुम भी मंद-मंद बहकर संपूर्ण पृथ्वी को शीतलता देते हो।
हवा-- प्रकृति इतनी तपती है जलतीं है लोग प्यासे होते हैं तो तुम उनकी प्रयास को बुझाने में सहायक होती है।
पानी-- तुम भी तो जोर से बहकर उनके अंतर्मन में शीतलता देते हो।
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वायु : हम दोनों एक ही जैसे पदार्थों से बने हैं परंतु फिर भी कितने भिन्न हैं।
जल : हाँ, यह तो है तुम्हारा स्वरूप मेरे तरल स्वरूप से बहुत भिन्न है। परन्तु स्वरूप में क्या है, हम दोनों ही किसी भी जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं।
वायु : चाहे वह कोई मनुष्य हो या कोई और जीवित वस्तु हम दोनों के बिना उनका भी कोई वजूद नहीं होगा।
जल : परंतु यह बात मनुष्यों को पता होते हुए भी वह हमारी परवाह किए बिना अपनी जिंदगी को खुद ही नर्क बनाने में लगे हुए हैं।
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