Could any one explain me the meaning of this poem--जय जन भारत जन मन अभिमत जय जन भारत जन मन अभिमत जन गण तंत्र विधाता जय गण तंत्र विधाता गौरव भाल हिमालय उज्ज्वल हृदय हार गंगा जल कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल महिमा शाश्वत गाता जय जन भारत... हरे खेत लहरें नद-निर्झर जीवन शोभा उर्वर विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर अगणित पग ध्रुव पथ पर जय जन भारत... प्रथम सभ्यता ज्ञाता साम ध्वनित गुण गाता जय नव मानवता निर्माता सत्य अहिंसा दाता जय हे जय हे जय हे शांति अधिष्ठा
Answers
जय जन भारत जन मन अभिमत जय जन भारत जन मन अभिमत जन गण तंत्र विधाता जय गण तंत्र विधाता गौरव भाल हिमालय उज्ज्वल हृदय हार गंगा जल कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल महिमा शाश्वत गाता जय जन भारत... हरे खेत लहरें नद-निर्झर जीवन शोभा उर्वर विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर अगणित पग ध्रुव पथ पर जय जन भारत... प्रथम सभ्यता ज्ञाता साम ध्वनित गुण गाता जय नव मानवता निर्माता सत्य अहिंसा दाता जय हे जय हे जय हे शांति अधिष्ठा
Meaning attached in image
Answer:
जय जन भारत जन मन अभिमत यह कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है |
इस कविता के माध्यम से कवि भारत के बारे में बताना चाहता है |
हमारे भारत देश में सब कुछ है यहाँ पर गंगा नदी है , पुरे विश्व में समानित है | अमर ग्रन्थ है उपदेश है| देश जहाँ नारद के, गूँजे मधुमय गान भी थे, यह है देश जहाँ पर बनते, सर्वोत्तम सामान सभी थे। भारतदेश पूर्ण ज्ञान है , स्वर्णिम, ऋषियों थे | यहाँ सब सबसे अलग है|
क्योंकि यहाँ पर सब कुछ है , नदियाँ है , हवा लहराती , ऊँचे- ऊँचे पर्वत है , निडर बहादुर , सैनिक है जो भारत देश की रक्षा करते है | भारत में शान्ति है | सब सत्य और अहिंसा के आधार पर जीवन जीते है | सब में नैतिकता भरी है |
भारत माता की जय जय जय
जय है , जय है , जय है |