covid-19 ke Samay Mein Vidyalay Mein bacchon ki Suraksha anuchadh lekhan
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कोरोना की आहट फिर सुनाई देने लगी है। महाराष्ट्र, केरल, गुजरात जैसे राज्यों से आ रहे आंकड़े चिंता का सबब है। लॉक डाउन का डर जनता में फैल रहा है। सबसे बड़ी चिंता स्कूलों की है। तकरीबन 1 साल से ज्यादा समय हो रहा है जब देशभर के स्कूल बंद हैं, जो खुले और खुलने की योजना में थे वहां भी कोरोना के संक्रमण ने दहशत को पैदा कर दिया है। जाहिर है ऐसे में घरों में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक विकास को लेकर सरकार को सोचना भी चाहिए और नई वैकल्पिक व्यवस्था को बनाने की ओर विचार भी करना चाहिए।
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कोविड -19 के दौरान अपनी ज़िन्दगी के बारे में बच्चों की वीडियो डायरी
हर बच्चा अपने आप में अलग है | भारत में जिस तरह वे कोरोना वायरस का सामना कर रहे हैं, वह कुछ अलग नहीं है |
पूरे भारत के बच्चों द्वारा
असम की इशिका के लिए ऑनलाइन स्कूल नया अनुभव है।
UNICEF/UNI355820/Panjwani
में उपलब्ध:
English
हिंदी
10 अगस्त 2020
कोविड – 19 ने हमारी ज़िन्दगी में उथल-पुथल मचा दी है | लॉकडाउन, स्कूलों का बंद होना और भौतिक दूरी, इन सबका बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है |
यूनिसेफ ने पूरे देश के बच्चों से इस दौरान घर पर की अपनी दिनचर्या का दस्तावेज़ बनाने को कहा |
स्टे होम डायरी बच्चों के ब्लॉग की एक श्रृंखला है जिसमें उनके द्वारा इस दौरान की परिस्थितियों का किस प्रकार सामना किया जा रहा है और उनकी प्रतिदिन की मनोरंजक गतिविधियों का वर्णन होता है जिससे और बच्चों को भी प्रेरणा मिले |
असम के चाय बागानों से लेकर चेन्नई की झुग्गियों तक, इन वीडियो डायरी में बच्चों द्वारा कोविड – 19 अपने तरीके से सामना किये जाने को दिखाया गया है |जब लॉकडाउन शुरू हुआ, असम के चाय बागान की 15 – वर्षीय रिमिका कोरोना वायरस को लेकर चिंतित थी | लेकिन जल्दी ही उसने अपने दिन को कुछ मनोरंजक गतिविधियों से भर दिया |17 वर्षीय अल्ताफ फिल्म निर्माता बनना चाहता है | चेन्नई की जिस झुग्गी बस्ती में रहता था उसके कन्टेनमेंट जोन घोषित कर दिए जाने के कारण वह घर की चारदीवारी में सिमट कर रह गया | उसने बताया कि लॉकडाउन के दिनों में भी उसने कहानियाँ सुनाना जारी रखा |मुंबई के चार साल के अहान ने लॉकडाउन के दौरान घर पर रहते हुए नाच कर, बेकिंग कर के और पियानो बजा कर अपने दिन बिताये कोरोना वायरस के कारण, लॉकडाउन, स्कूलों के बंद होने और बोर्ड परीक्षाओं की अनिश्चितता का चेन्नई की सुभीता के ऊपर गहरा असर पड़ा | 15 वर्षीय हेमाश्री ओडिशा के एक गाँव में रहती है | उसका परिवार काफी बड़ा है और उसकी माँ एक आंगनवाड़ी (सामुदायिक स्वास्थ्य) कार्यकर्त्ता है | अपनी पढाई के साथ हेमाश्री अपने भाई बहन की पढाई में भी मदद करती है और घर के कामों में भी हाँथ बंटाती थी | एक युवा नेत्री के रूप में उसने ये सुनिश्चित किया कि उसका परिवार लॉकडाउन के समय उचित व्यवहार का पालन करे |