Cycle par vigyapan hindi me
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1839 में स्कॉटलैंड के एक लुहार किर्कपैट्रिक मैकमिलन द्वारा आधुनिक सायकिल का आविष्कार होने से पूर्व यह अस्तित्व में तो थी पर इस पर बैठकर जमीन को पांव से पीछे की ओर धकेलकर आगे की तरफ़ बढ़ा जाता था। मैकमिलन ने इसमें पहिये को पैरों से चला सकने योग्य व्यवस्था की।
ऐसा माना जाता है कि 1817 में जर्मनी के बैरन फ़ॉन ड्रेविस ने साइकिल की रूपरेखा तैयार की। यह लकड़ी की बनी सायकिल थी तथा इसका नाम ड्रेसियेन रखा गया था। उस समय इस सायकिल की गति 15 किलो मीटर प्रति घंटा थी।[1] इसका अल्प प्रयोग 1830 से 1842 के बीच हुआ था।
इसके बाद मैकमिलन ने बिना पैरों से घसीटे चलाये जा सकने वाले यंत्र की खोज की जिसे उन्होंने वेलोसिपीड का नाम दिया था। पर अब ऐसा माना जाने लगा है कि इससे बहुत पूर्व 1763 में ही फ्रांस के पियरे लैलमेंट ने इसकी खोज की थी।
ऐसा माना जाता है कि 1817 में जर्मनी के बैरन फ़ॉन ड्रेविस ने साइकिल की रूपरेखा तैयार की। यह लकड़ी की बनी सायकिल थी तथा इसका नाम ड्रेसियेन रखा गया था। उस समय इस सायकिल की गति 15 किलो मीटर प्रति घंटा थी।[1] इसका अल्प प्रयोग 1830 से 1842 के बीच हुआ था।
इसके बाद मैकमिलन ने बिना पैरों से घसीटे चलाये जा सकने वाले यंत्र की खोज की जिसे उन्होंने वेलोसिपीड का नाम दिया था। पर अब ऐसा माना जाने लगा है कि इससे बहुत पूर्व 1763 में ही फ्रांस के पियरे लैलमेंट ने इसकी खोज की थी।
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