cycle tumse boli toh
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प्रस्तावना:
साइकिल का आविष्कार फ्राँस में हुआ था । पुरानी साइकिल आज की साइकिल से एकदम भिन्न किस्म की थी । आज की साइकिल में दो पैडल होते है, आगे-पीछे के पहियों को रोकने के ब्रेक का एक जोड़ा तथा एक हैंडिल होता है ।
उसके ठोस टायरों के स्थान पर आज रबड़ के टायर और ट्यूब होते हैं । ट्यूब में हवा भर कर साइकिल चलाई जाती है । साइकिल सवार दोनों पैरों से पैड़ल चलाता है और उसी से साइकिल के पहिये चलते है । जब कभी साइकिल सवार साइकिल को रोकना चाहता है, वह ब्रेक लगा देता है और पैड़ल चलाना बन्द कर देता है । ऐसा होते ही साइकिल एकदम रुक जाती है । हैंडिल की मदद से हम साइकिल को दायें या बायें मोड़ सकते है । इस प्रकार हम साइकिल से किसी भी दिशा में सैर कर सकते हैं ।
साइकिल चलाने के लाभ:
हम अपनी साइकिल से जब भी चाहें, अपने गंतव्य स्थान की यात्रा पर जा सकते है । साइकिल पक्की सड़कों पर बड़ी आसानी से कम मेहनत में चलती है, लेकिन इसके लिए सडक की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती । इससे गाँव की पगडंडी व संकरी गलियों में भी यात्रा की जा सकती है ।
साइकिल की यात्रा से हमारी अच्छी-खासी कसरत हो जाती है । शुद्ध हवा में साँस लेकर हमारे फेफड़े पुष्ट होते हैं । हम चारों ओर के मनोहरी दृश्य देखते हुए यात्रा करते हैं । नए-नए दृश्यों से हमारा मनोरंजन भी होता है । हमें बड़े ध्यान से साइकिल चलानी पडती है । ऐसा करने में हम जीवन की कठिनाइयाँ भूल जाते हैं ।
साइकिल गरीबों के लिए वरदान है, चाहे वे शहर में रहते हों या गाँव में । शहर के निवासी बिना किसी प्रकार का व्यय किये प्राकृतिक छटा का आनन्द ले सकते हैं । अपने कार्यस्थल या अन्य किसी काम के लिए साइकिल के द्वारा वे समय की बहुत बचत करते हैं ।
देहातों में यात्रा के साधन आसान नहीं होते । ऐसे में साइकिल से दूर-दूर की सैर की जा सकती है । बहुत-से दूध वाले प्रतिदिन साइकिल पर दूध के बड़े-बड़े डिब्बे लटकाये शहर आते हैं और दूध बेचकर चले जाते हैं । साइकिल के बिना उन्हें बड़ी कठिनाई होती है ।
साइकिल की सवारी से हमें अनेक शिक्षाये मिलती हैं । शहर के आसपास के नए क्षेत्रो को निकट से देखकर उनका इतिहास जानने की इच्छा जागृत हो उठती है और हमारी जानकारी बढ़ती है । साइकिल की सवारी अकेले ही तथा मित्रों के साथ भी की जा सकती है । मित्रों के हाथ में हाथ डाले साइकिल की सैर का विशेष मजा है ।
हम आपस में बातचीत करते और हंसी-मजाक करते हुए भी साइकिल की सैर कर सकते हैं । जहाँ-कहीं हमें कोई सुहावना दृश्य दिखाई दे, हम फौरन साइकिल रोक कर उतर सकते हैं और उस दृश्य का भरपूर आनन्द ले सकते है । हंसते-गाते हुए आसानी से रास्ता कट जाता है । ऐसी सुविधा अन्य किसी सवारी में नहीं है ।
साइकिल सवारी से एक बडा लाभ यह भी है कि इससे सारे शरीर की अच्छी-खासी कसरत हो जाती है । इससे हमारा स्वास्थ्य सुधर जाता है । यह सैर की सबसे सस्ती सवारी है । एक बार खरीदने के बाद हमे इस पर कुछ व्यय नहीं करना पडता । इन महंगाई के दिनों में भी 1000 रु॰ में अच्छी साइकिल मिल जाएगी ।
इतने पैसों में अन्य किसी वाहन की कल्पना तक नहीं की जा सकती । इसके लिए न किसी प्रकार के पैट्रोल या डीजल जैसे ईधन की जरूरत होती है और न किसी ड्राइवर की । अत: जब भी चाहो, इसे बाहर निकाल कर इसकी सवारी की जा सकती है । चाहे रात का समय हो या दिन का, पानी बरस रहा हो या धूप खिली हो, हर समय यह हमारी सेवा को प्रस्तुत रहती है । इसके रखरखाव व मरम्मत आदि का व्यय भी बहुत मामूली होता है ।
उपसंहार:
सभी दृष्टियों से साइकिल हमारे बड़े काम की सवारी है । इसे हम निर्धन का स्कूटर या कार की संज्ञा दे सकते हैं । इससे समय की बडी बचत होती है । यह अति सस्ती होती है । दिन में 8-10 किलोमीटर की यात्रा बड़ी आसानी से की जा सकती है ।
अत: दिन पर दिन इसका उपयोग बढ़ता ना रहा है । शहरों की नई बस्तियों के प्रारंभिक दिनों में जब वही बसें आदि नहीं पहुंचती, साइकिल से ही सारे काम किए जाते हैं । लेकिन बहुत दूर की यात्रा साइकिल से नहीं करनी चाहिए ।
एक बार में अधिक से अधिक एक घंटा साइकिल चलाना ही पर्याप्त होता है । बहुत देर तक तथा बहुत तेजी से साइकिल चलाना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है और इसरने दुर्घटना होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
साइकिल का आविष्कार फ्राँस में हुआ था । पुरानी साइकिल आज की साइकिल से एकदम भिन्न किस्म की थी । आज की साइकिल में दो पैडल होते है, आगे-पीछे के पहियों को रोकने के ब्रेक का एक जोड़ा तथा एक हैंडिल होता है ।
उसके ठोस टायरों के स्थान पर आज रबड़ के टायर और ट्यूब होते हैं । ट्यूब में हवा भर कर साइकिल चलाई जाती है । साइकिल सवार दोनों पैरों से पैड़ल चलाता है और उसी से साइकिल के पहिये चलते है । जब कभी साइकिल सवार साइकिल को रोकना चाहता है, वह ब्रेक लगा देता है और पैड़ल चलाना बन्द कर देता है । ऐसा होते ही साइकिल एकदम रुक जाती है । हैंडिल की मदद से हम साइकिल को दायें या बायें मोड़ सकते है । इस प्रकार हम साइकिल से किसी भी दिशा में सैर कर सकते हैं ।
साइकिल चलाने के लाभ:
हम अपनी साइकिल से जब भी चाहें, अपने गंतव्य स्थान की यात्रा पर जा सकते है । साइकिल पक्की सड़कों पर बड़ी आसानी से कम मेहनत में चलती है, लेकिन इसके लिए सडक की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती । इससे गाँव की पगडंडी व संकरी गलियों में भी यात्रा की जा सकती है ।
साइकिल की यात्रा से हमारी अच्छी-खासी कसरत हो जाती है । शुद्ध हवा में साँस लेकर हमारे फेफड़े पुष्ट होते हैं । हम चारों ओर के मनोहरी दृश्य देखते हुए यात्रा करते हैं । नए-नए दृश्यों से हमारा मनोरंजन भी होता है । हमें बड़े ध्यान से साइकिल चलानी पडती है । ऐसा करने में हम जीवन की कठिनाइयाँ भूल जाते हैं ।
साइकिल गरीबों के लिए वरदान है, चाहे वे शहर में रहते हों या गाँव में । शहर के निवासी बिना किसी प्रकार का व्यय किये प्राकृतिक छटा का आनन्द ले सकते हैं । अपने कार्यस्थल या अन्य किसी काम के लिए साइकिल के द्वारा वे समय की बहुत बचत करते हैं ।
देहातों में यात्रा के साधन आसान नहीं होते । ऐसे में साइकिल से दूर-दूर की सैर की जा सकती है । बहुत-से दूध वाले प्रतिदिन साइकिल पर दूध के बड़े-बड़े डिब्बे लटकाये शहर आते हैं और दूध बेचकर चले जाते हैं । साइकिल के बिना उन्हें बड़ी कठिनाई होती है ।
साइकिल की सवारी से हमें अनेक शिक्षाये मिलती हैं । शहर के आसपास के नए क्षेत्रो को निकट से देखकर उनका इतिहास जानने की इच्छा जागृत हो उठती है और हमारी जानकारी बढ़ती है । साइकिल की सवारी अकेले ही तथा मित्रों के साथ भी की जा सकती है । मित्रों के हाथ में हाथ डाले साइकिल की सैर का विशेष मजा है ।
हम आपस में बातचीत करते और हंसी-मजाक करते हुए भी साइकिल की सैर कर सकते हैं । जहाँ-कहीं हमें कोई सुहावना दृश्य दिखाई दे, हम फौरन साइकिल रोक कर उतर सकते हैं और उस दृश्य का भरपूर आनन्द ले सकते है । हंसते-गाते हुए आसानी से रास्ता कट जाता है । ऐसी सुविधा अन्य किसी सवारी में नहीं है ।
साइकिल सवारी से एक बडा लाभ यह भी है कि इससे सारे शरीर की अच्छी-खासी कसरत हो जाती है । इससे हमारा स्वास्थ्य सुधर जाता है । यह सैर की सबसे सस्ती सवारी है । एक बार खरीदने के बाद हमे इस पर कुछ व्यय नहीं करना पडता । इन महंगाई के दिनों में भी 1000 रु॰ में अच्छी साइकिल मिल जाएगी ।
इतने पैसों में अन्य किसी वाहन की कल्पना तक नहीं की जा सकती । इसके लिए न किसी प्रकार के पैट्रोल या डीजल जैसे ईधन की जरूरत होती है और न किसी ड्राइवर की । अत: जब भी चाहो, इसे बाहर निकाल कर इसकी सवारी की जा सकती है । चाहे रात का समय हो या दिन का, पानी बरस रहा हो या धूप खिली हो, हर समय यह हमारी सेवा को प्रस्तुत रहती है । इसके रखरखाव व मरम्मत आदि का व्यय भी बहुत मामूली होता है ।
उपसंहार:
सभी दृष्टियों से साइकिल हमारे बड़े काम की सवारी है । इसे हम निर्धन का स्कूटर या कार की संज्ञा दे सकते हैं । इससे समय की बडी बचत होती है । यह अति सस्ती होती है । दिन में 8-10 किलोमीटर की यात्रा बड़ी आसानी से की जा सकती है ।
अत: दिन पर दिन इसका उपयोग बढ़ता ना रहा है । शहरों की नई बस्तियों के प्रारंभिक दिनों में जब वही बसें आदि नहीं पहुंचती, साइकिल से ही सारे काम किए जाते हैं । लेकिन बहुत दूर की यात्रा साइकिल से नहीं करनी चाहिए ।
एक बार में अधिक से अधिक एक घंटा साइकिल चलाना ही पर्याप्त होता है । बहुत देर तक तथा बहुत तेजी से साइकिल चलाना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है और इसरने दुर्घटना होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
sanora:
I want an essay in hindi
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