Hindi, asked by dmshivakumar1565, 1 year ago

डॉ0 विश्वेश्वरैया की जीवनी। Biography of M.Visvesvaraya in Hindi

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Answered by Stylishhh
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डॉ0 विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का भगीरथ कहा जाता है। प्राचीन काल में महाराज भगीरथ ने अपने तपोबल से गंगा को धरती पर उतारकर अपने पुरखों के उद्धार के साथ ही जन-सामान्य का कल्याण किया था। आधुनिक युग में डॉ0 विश्वेश्वरैया ने अपनी योग्यता और कर्मठता से मानव जीवन को जल का अपरिमित वरदान प्रदान किया। उन्होंने करोड़ों एकड़ बंजर धरती को उर्वर बनाया तथा अनेक उच्छृंखल नदियों को अपनी मर्यादा में बहने के लिए विवश कर दिया।

डॉ0 विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर प्रदेश के मुद्देनल्ली गाँव में 15 सितम्बर, सन् 1861 में हुआ था। उनका पूरा नाम मोक्षगुडम् विश्वेश्वरैया था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात 1962 ई0 में उनका स्वर्गवास हुआ। इस प्रकार उन्हें देश की सेवा करने के लिए सौ वर्षों का सुदीर्घ जीवन प्राप्त हुआ। डॉ0 विश्वेश्वरैया बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे कुशल इंजीनियर, विख्यात स्थापत्यविद्, नए-नए उद्योग-धन्धों के जन्मदाता, शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ और देश-भक्त थे। सादगी और स्वाभिमान में वे बेजोड़ थे।

प्रारंभिक जीवन : डॉ0 विश्वेश्वरैया का जीवन साहस, संघर्ष और सफलता की अनुपम कहानी है। इनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। बचपन अभावों तथा संकटों में बीता किन्तु इन्होंने साहस का दामन कभी नहीं छोड़ा। बंगलौर में पढ़ते समय दूसरे विद्यार्थियों को पढ़ाकर कमाये हुये धन से वे अपना काम चलाते थे। परीक्षाओं में प्रथम आने से मिलने वाली छात्रवृत्ति से भी उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान होता था। इस प्रकार विश्वेश्वरैया अपने परिश्रम, कर्त्तव्यनिष्ठा और धैर्य के बल पर निरन्तर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने असम्भव कार्यों को भी सम्भव करने की अपार क्षमता अर्जित की। उनके जीवन के अनेक रोचक प्रसंग हैं जो उनकी मौलिक सूझ-बूझ और प्रतिभा को उजागर करते हैं।

1893 ई0 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने विश्वेश्वरैया की अग्नि-परीक्षा ली। मुम्बई (बम्बई) सरकार उन दिनों सिन्ध की सक्कर जल योजना को यथाशीघ्र पूरा करना चाहती थी किन्तु जो अंग्रेज इंजीनियर उस काम की देख-रेख कर रहा था उसकी अचानक मृत्यु हो गयी। कार्य रुक गया। अंग्रेजों की दृष्टि में उस समय भारतीय लोग ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए अयोग्य समझे जाते थे, किन्तु तत्काल कार्यक्रम के लिए कोई अंग्र्रेज इंजीनियर उपलब्ध नहीं था। अंग्रेजों ने इस नवोदित भारतीय इंजीनियर को यह कार्य परीक्षा के रूप में सौंपा। सिन्धु की चिलचिलाती हुई धूप में विश्वेश्वरैया ने बड़ी योग्यता एवं कर्मठता से इस कार्य को समय के भीतर ही पूरा करके अपनी योग्यता प्रमाणित कर दी। मुम्बई (बम्बई) के तत्कालीन गवर्नर ने उसके उद्घाटन के अवसर पर इस भारतीय इंजीनियर की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

हैदराबाद शहर के बीच में मूसा नदी बहती है। 28 सितम्बर 1908 ई0 में इस नदी में बहुत बाढ़ आई, जिससे दो हजार से अधिक लोग बह गए। तत्कालीन हैदराबाद के निजाम ने सरकार से अनुरोध किया कि भविष्य में बाढ़ से बचाव के लिए सुझाव देने हेतु किसी योग्य इंजीनियर की सेवा उपलब्ध करा दें। डॉ0 विश्वेश्वरैया उस समय इटली में थे। मुम्बई (बम्बई) के गवर्नर ने उन्हें तार भेजकर कहा, ‘‘हैदराबाद के उद्धार के लिए हम आपसे भारत लौटने का अनुरोध करते हैं।’’ भारत लौटकर वे हैदराबाद पहुँचे। उन्होंने उच्छृंखल मूसा नदी पर बाँध बाँधकर जलाशयों का निर्माण कराया और जन-धन का विनाश करने वाली मूसा नदी को हैदराबाद के लिए वरदान बना दिया।

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डॉ0 विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर प्रदेश के मुद्देनल्ली गाँव में 15 सितम्बर, सन् 1861 में हुआ था। उनका पूरा नाम मोक्षगुडम् विश्वेश्वरैया था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात 1962 ई0 में उनका स्वर्गवास हुआ। इस प्रकार उन्हें देश की सेवा करने के लिए सौ वर्षों का सुदीर्घ जीवन प्राप्त हुआ। डॉ0 विश्वेश्वरैया बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे कुशल इंजीनियर, विख्यात स्थापत्यविद्, नए-नए उद्योग-धन्धों के जन्मदाता, शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ और देश-भक्त थे। सादगी और स्वाभिमान में वे बेजोड़ थे।

प्रारंभिक जीवन : डॉ0 विश्वेश्वरैया का जीवन साहस, संघर्ष और सफलता की अनुपम कहानी है। इनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। बचपन अभावों तथा संकटों में बीता किन्तु इन्होंने साहस का दामन कभी नहीं छोड़ा। बंगलौर में पढ़ते समय दूसरे विद्यार्थियों को पढ़ाकर कमाये हुये धन से वे अपना काम चलाते थे। परीक्षाओं में प्रथम आने से मिलने वाली छात्रवृत्ति से भी उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान होता था। इस प्रकार विश्वेश्वरैया अपने परिश्रम, कर्त्तव्यनिष्ठा और धैर्य के बल पर निरन्तर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने असम्भव कार्यों को भी सम्भव करने की अपार क्षमता अर्जित की। उनके जीवन के अनेक रोचक प्रसंग हैं जो उनकी मौलिक सूझ-बूझ और प्रतिभा को उजागर करते हैं।

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