Hindi, asked by sahil276161, 2 months ago

 डी.ए.वी. शिक्षण संस्था की स्थापना के समय आर्य नेताओं की दृष्टि किन तीन बातों की ओर शुरू से ही रही ? इसकी पूर्ति कैसे की गई ?​

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Answered by shishir303
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¿  डी.ए.वी. शिक्षण संस्था की स्थापना के समय आर्य नेताओं की दृष्टि किन तीन बातों की ओर शुरू से ही रही ? इसकी पूर्ति कैसे की गई ?​

➲  डीएवी शिक्षण संस्था की स्थापना करते समय आर्य नेताओं की दृष्टि इन तीन बातों से शुरु रही..

आत्मनिर्भरता : आज के समय में डीएवी शिक्षण संस्थाएं देश की सबसे बड़ी स्वाबलंबी शिक्षण संस्था है। इस संस्था का सबसे पहला शिक्षण संस्थान 1886 में लाहौर में डीएवी स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था और वहीं पर बाद में डीएवी कॉलेज खोला गयाष उसके पश्चात बिना किसी सरकारी सहायता के यह संस्थान निरंतर बढ़ता गया और आत्मनिर्भर बना।

स्वार्थ का त्याग : डीएवी संस्थान से जुड़े हुआ प्रत्येक व्यक्ति के त्याग की भावना से ओतप्रोत है। अपने स्वार्थ का त्याग करके लोकहित कार्य करना इस संस्थान का आदर्श है। इस संस्थान में बहुत से लोगों ने इस संस्थान का आजीवन सदस्य बनकर मात्र ₹75 मासिक या बिना किसी वेतन के भी कार्य करके इस संस्थान की सेवा की है। ये संस्थान अनेक महानुभावों के अप्रतिम योगदान का भी ऋणी है, जिनमें महात्मा हंसराज, बक्शी राम रतन, प्रिंसिपल मेहर चंद महाजन, पंडित राजाराम आदि जैसे सज्जनों के नाम प्रमुख हैं।

मितव्ययिता : डीएवी संस्थान मितव्ययता के आदेश का पालन करता है। वह ऐसा कोई भी व्यर्थ का खर्च नहीं करता, जो निरुद्देश्य हो। जनता द्वारा दिए गए दान का वह पूर्णता सदुपयोग करता है। अपने इन सभी गुणों के कारण डीएवी संस्थाएं भारत की परंपरागत वैदिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के समन्वय को मिलाकर शिक्षा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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Answered by ujjwalutkarsh7
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Answer:

7) भारत के राष्ट्रपति डॉ. हुसैन ने जस्टिस जाकिर 82 - 4sigma * d , अदाज तू कै लि से शब्द की के "अनेक माहलपूर्ण बनीशनी के सदरम के रूप में अनेक किशक्षण संस्थानों के संचालक, कै ायालय कन्यीमा- किया करते से स्पनी ।

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