डॉ. जाकिर हुसैन साहब के बारे में कुछ बातें अविस्मरणीय हैं। 13 मई, 1967 को राष्ट्रपति का पद
संभालते हुए उन्होंने कहा था-"सारा भारत मेरा घर है, मैं सच्ची लगन से इस घर को मजबूत और
सुंदर बनाने की कोशिश करूँगा, ताकि वह मेरे महान देशवासियों का उपयुक्त घर हो, जिसमें इंसाफ़
और खुशहाली का अपना स्थान हो।" डॉ. जाकिर हुसैन भारत के असली सपूत थे। वे जाति-पाति में
भेदभाव नहीं करते थे। एक दिन वे राष्ट्रपति निवास के अहाते में घूम रहे थे। उन्होंने देखा कि एक
माली के घर कीर्तन हो रहा है। वे टहलते हुए उस ओर चले गए और सबके साथ एक कोने में दरी
पर बैठ गए। जब लोगों ने कुरसी लाने को कहा, तो वे बोले-"भगवान के घर में सब बराबर होते हैं।"
इस प्रकार वे दरी पर ही बैठे रहे। एक बार रामलीला में जनता ने उनसे रामचंद्रजी का तिलक करने को
कहा। ज़ाकिर साहब खुशी से आए और तिलक किया। इस पर कुछ उर्दू अख़बारों ने एतराज किया।
डॉ. जाकिर साहब बोले-“इन नादानों को मालूम नहीं है कि मैं भारत का राष्ट्रपति हूँ। किसी खास धर्म
का नहीं।
(क) राष्ट्रपति का पद सँभालते हुए डॉ. ज़ाकिर साहब ने क्या कहा था?
(ख) माली के घर जाकर उन्होंने क्या किया और क्यों?
(ग) डॉ. ज़ाकिर साहब ने उर्दू अख़बारवालों को जो जवाब दिया, उससे उनके स्वभाव की किस
विशेषता का पता चलता है?
(घ) माली के घर में जब लोगों ने कुरसी लाने को कहा तब डॉ. जाकिर हुसैन ने क्या कहा?
(ङ) रामलीला में डॉ. जाकिर साहब ने क्या किया?
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Explanation:
डॉ. जाकिर हुसैन साहब के बारे में कुछ बातें अविस्मरणीय हैं। 13 मई, 1967 को राष्ट्रपति का पद
संभालते हुए उन्होंने कहा था-"सारा भारत मेरा घर है, मैं सच्ची लगन से इस घर को मजबूत और
सुंदर बनाने की कोशिश करूँगा, ताकि वह मेरे महान देशवासियों का उपयुक्त घर हो, जिसमें इंसाफ़
और खुशहाली का अपना स्थान हो।" डॉ. जाकिर हुसैन भारत के असली सपूत थे। वे जाति-पाति में
भेदभाव नहीं करते थे। एक दिन वे राष्ट्रपति निवास के अहाते में घूम रहे थे। उन्होंने देखा कि एक
माली के घर कीर्तन हो रहा है। वे टहलते हुए उस ओर चले गए और सबके साथ एक कोने में दरी
पर बैठ गए। जब लोगों ने कुरसी लाने को कहा, तो वे बोले-"भगवान के घर में सब बराबर होते हैं।"
इस प्रकार वे दरी पर ही बैठे रहे। एक बार रामलीला में जनता ने उनसे रामचंद्रजी का तिलक करने को
कहा। ज़ाकिर साहब खुशी से आए और तिलक किया। इस पर कुछ उर्दू अख़बारों ने एतराज किया।
डॉ. जाकिर साहब बोले-“इन नादानों को मालूम नहीं है कि मैं भारत का राष्ट्रपति हूँ। किसी खास धर्म
का नहीं।
(क) राष्ट्रपति का पद सँभालते हुए डॉ. ज़ाकिर साहब ने क्या कहा था?
(ख) माली के घर जाकर उन्होंने क्या किया और क्यों?
(ग) डॉ. ज़ाकिर साहब ने उर्दू अख़बारवालों को जो जवाब दिया, उससे उनके स्वभाव की किस
विशेषता का पता चलता है?
(घ) माली के घर में जब लोगों ने कुरसी लाने को कहा तब डॉ. जाकिर हुसैन ने क्या कहा?
(ङ) रामलीला में डॉ. जाकिर साहब ने क्या किया?