डॉ नगेंद्र के प्रथम आलोचनात्मक कृति का नाम लिखिए
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साहित्य-संदेश' में प्रकाशित उनके लेखों ने उनकी ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। उनकी तीन आलोचनात्मक कृतियाँ प्रकाशित हुईं - 'सुमित्रानंदन पंत'(1938ई.), 'साकेत- एक अध्ययन'(1939ई.) और 'आधुनिक हिंदी नाटक'(1940ई.) ।
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डा नगेंद्र का साहित्यिक जीवन कवि के रूप में आरंभ होता है। सन 1937 ई. में उनका पहला काव्य संग्रह 'वनबाला' प्रकाशित हुआ। इसमें विद्यार्थीकाल की गीति-कविताएँ संग्रहीत हैं।
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