डायरी के पन्ने के पाठ के आधार पर बताइए कि अज्ञातवास की जगह कहां है
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इस दिन ऐन फ्रैंक गुप्त आवास यर जाने के विषय में लिखती है। उसकी बडी बहन को ए०एस०एस० से बुलावा आने पर घर के लोग गुप्त आवास यर जाने की तैयारी करते हैं। यह उनके जीबन का सबसे कठिन समय था ऐन ने अपने बैले में अजीबोगरीब चीजे भर डालों। उसने सबसे पहले अपनी डायरी रखी। क्योंकि लेखिका के लिए स्मृतियों पोशाकों को तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण थीं। ऐन व वानदान के परिवार वाले गुप्त आवास की व्यवस्था करते हैं।
गुरुवार, 9 जुलाई, 3942
इस दिन वे अपने छुपने के स्थान पर पहुंचते हैं। यह गुप्त आवास उसके पिता का अक्तिस है। वह घर के कमरों के बारे में बताती है। यह भवन गोदाम व मंडारघर के रूप में प्रयोग होता था। यहाँ इलायची, लौग और जाली मिर्च वगैरह पीसे जाते थे। गोदाम के दरवाजे से सटा हुआ बाहर का दरवाजा है जी अक्तिस का प्रवेश न्दूचार है। सीढियाँ चढ़कर उपर पहुंचने यर एक और दूवार है जिस पर शीशे की खिड़की है जिस पर काला शीशा लगा हुआ है। इस पर ‘कार्यालय‘ लिखा है। इसी कमरे में दिन के समय पोप, मिएप व मिस्टर क्लीमेन काम करते हैँ। एक छोटे–से गलियारे में दमधोटू अँधियारे रने युक्त एक छोटा–सा कमरा बैंक आँफिस है। यही मिस्टर डालर व चानदान बैठते थे। मिस्टर कुगलर के अगैंटेफस से निकलकर तंग गलियारे में प्राइवेट अक्तिस है। नीचे की सीढियों वाले गलियारे रने दूसरी मजिल क्रो रास्ता है जो गली की तरफ खुलता है। यही पर ऐन फ्रैंक व उसका परिवार रहता है।
शुक्रवार, 1० जुलाई, 3942
इस दिन ऐन गुप्त आवास के पहले दिन का वर्णन करती है। यहाँ पहुँचने पर उसकी माँ व वहन बुरी तरह थक जाती हैं। ऐन और उसके पिता अपने नए आवास को व्यवस्थित करने का प्रयास करते है । वे भी बुरी तरह थक जाते है । बुधवार तक तो उन्हें यह सोचने की फुर्सत नहीं थी कि उनकी जिदगी में कितना बड़ा परिवर्तन आ चुका था।
शनिवार, 28 नवंबर, 1942
वह बताती है कि इन दिनों वे बिजली और राशन ज्यादा खर्च कर चुके हैं। उन्हें और किफ़ायत करनी होगी ताकि बिजली का कट न लगे। साढ़े चार बजते ही अँधेरा हो जाता है। उस समय पढ़ा नहीं जा सकता। ऐसे समय में वे ऊल-जुलूल हरकतें करके गुजारते हैं। दिन में परदे नहीं हटा सकते थे। अँधेरा होने के बाद परदे हटाकर पड़ोस में ताँक-झाँक कर लेते थे। लेखिका डसेल के बारे में बताती है कि वे बच्चों से बेहद प्यार करते हैं। उनके भाषण सुनकर वह बोर हो जाती है। वह उनकी अनुशासन-संबंधी बातें नहीं सुनती। वे चुगलखोर हैं। वे सारी बातों की रिपोर्ट मम्मी को दे देते हैं और मम्मी से मुझे उपदेश सुनने पड़ते हैं। कभी-कभी मिसेज वान पाँच मिनट बाद उसे बुलवा लेती थी। हर समय डॉट-फटकार, दुत्कारा जाना आदि इोलना आसान नहीं होता। रात को बिस्तर पर लेटकर लेखिका अपनी कमियों व कायों के बारे में सोचती है तो उसे हँसी व रोना-दोनों आते हैं। वह स्वयं को बदलने की कोशिश करती है।
शुक्रवार, 19 मार्च, 1943
ऐन बताती है कि तुकों के इंग्लैंड के पक्ष में न आने से हम नोट रहे थे। इससे कालाबाजारी को झटका लगेगा, साथ भूमिगत लोगों को नुकसान होगा क्योंकि वे इन सकते। गिएज एंड कपनी के पास हजार गिल्डर के कुछ नोट हैं जिन्हें आगामी वर्षों निपटा दिया है। मिस्टर डसेल को कहीं से पैरों से चलने वाली दाँतों की ड़िल मशीन मिल गई है। पूरा चेकअप करवा लेगी। घर के कायदे-कानून के पालन में मिस्टर डसेल आलसी हैं। वे चालोंट व बनाए हुए हैं। मार्गोट उनके पत्रों को ठीक करती है। पापा ने उन्हें यह काम बंद करने का कहा। लेखिका जर्मन घायल सैनिक व हिटलर के बीच बातचीत को रेडियो पर सुनती है। घायल सैनिक अपने जख्मों को दिखाते हुए गर्व महसूस कर रहे थे। उसी समय उसका पैर डसेल के साबुन पर पड़ गया और साबुन खत्म हो गया। उसने पापा से इसकी भरपाई करने को कहा क्योंकि युद्ध के समय महीने में घटिया साबुन की एक बट्टी मिलती थी।
शुक्रवार, 23 जनवरी, 1944
पिछले कुछ सप्ताहों से उसे परिवार के वंश वृक्षों और राजसी परिवारों की वंशावली तालिकाओं से खासी रुचि हो गई है। वह मेहनत से स्कूल का काम करती है। वह रेडियो पर बी०बी०सी० की होम सर्विस को समझती है। वह रविवार को अपने प्रिय फ़िल्मी कलाकारों की तस्वीरें देखने में गुजारती है। मिस्टर कुगलर उसके लिए ‘सिनेमा एंड थियेटर’ पत्रिका लाते हैं। परिवार के लोग इसे पैसे की बरबादी मानते हैं। बेप शनिवार को अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ फ़िल्म देखने जाने की बात बताती है तो वह उसे पहले ही फ़िल्म के मुख्य नायकों व नायिकाओं के नाम तथा समीक्षाएँ बता देती है। मम्मी कहती है कि उसे सब याद है, इसलिए उसे फ़िल्म देखने की जरूरत नहीं है। जब वह नयी केश-सज्जा बनाकर आती है तो सभी कहते हैं कि