डायरिया या टाइफॉइड रोग के कारण, रोग के लक्षण तथा उसकी रोकथाम के उपायों का उल्लेख करें ।
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Explanation:
यह अंतड़ियों में अधिक द्रव के जमा होने, अंतड़ियों द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने या अंतड़ियों में मल के तेजी से गुजरने की वजह से होता है।
अतिसार का मुख्य लक्षण और कभी-कभी अकेला लक्षण, विकृत दस्तों का बार-बार आना होता है। तीव्र दशाओं में उदर के समस्त निचले भाग में पीड़ा तथा बेचैनी प्रतीत होती है अथवा मलत्याग के कुछ समय पूर्व मालूम होती है। धीमे अतिसार के बहुत समय तक बने रहने से, या उग्र दशा में थोड़े ही समय में, रोगी का शरीर कृश हो जाता है और जल ह्रास (डिहाइड्रेशन) की भयंकर दशा उत्पन्न हो सकती है। खनिज लवणों के तीव्र ह्रास से रक्तपूरिता तथा मूर्छा (कॉमा) उत्पन्न होकर मृत्यु तक हो सकती है
पेट में दर्द
ऐंठन
सूजन
निर्जलीकरण
बुखार
मल में खून
दस्त
उल्टी
डायरिया उग्र या जीर्ण (क्रोनिक) हो सकती है और प्रत्येक प्रकार के डायरिया के भिन्न-भिन्न कारण और इलाज होते हैं। डायरिया से उत्पन्न जटिलताओं में निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन), इलेक्ट्रोलाइट (खनिज) असामान्यता और मलद्वार में जलन, शामिल हैं। निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) को पीनेवाले रिहाइड्रेशन घोल की सहायता से कम किया जा सकता है और आवश्यक हो तो अंतःशिरा द्रव्य की मदद भी ली जा सकती है।
चिकित्सा के लिए रोगी के मल की परीक्षा करके रोग के कारण का निश्चय कर लेना आवश्यक है, क्योंकि चिकित्सा उसी पर निर्भर है। कारण को जानकर उसी के अनुसार विशिष्ट चिकित्सा करने से लाभ हो सकता है। रोगी को पूर्ण विश्राम देना तथा क्षोभक आहार बिलकुल रोक देना आवश्यक है।