'Dange me Samanya logo ka jivan astya vaysta Ho jata hai'- kaise? Sochkar likhiye
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दंगे में सामान्य लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त होता है कैसे?
किसी भी राष्ट्र की उन्नति में सबसे अधिक बाधक उस देश में होने वाले दंगे होते हैं। जब दंगे भड़कते हैं तो पूरे के पूरे शहर जल जाते हैं। गुस्साई भीड़ किसी का घर, किसी की गाड़ी नहीं देखती जो भी उनके रास्ते में आता है या तो उनको मार देते हैं यह जला देते हैं भले ही किसी का कोई भी कसूर ना हो।
जिन लोगों का दंगों से कोई लेना-देना भी नहीं होता है जो अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त होते हैं उन्हें दंगे बहुत ही प्रभावित करते हैं। जब दंगे भड़कते हैं तो घर वाले लोग चिंतित हो जाते हैं कि जो काम पर गया है और घर लौट आएगा भी या नहीं। किसी ने अपनी गाढ़ी कमाई से कोई गाड़ी खरीदी है तो दंगों में उसे जला दिया जाता है। किसी का मकान तोड़ दिया जाता है तो किसी को काम पर पहुंचने नहीं दिया जाता। किसी बीमार को अस्पताल ले जाना हो तो दंगे उसे रोक कर रखते हैं। दंगों से सामान्य लोगों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है।
भारत में दंगे मजहब के नाम पर जाति के नाम पर भड़क उठते हैं। अतः सभी लोगों को सभ्य और जिम्मेवार नागरिक बनना चाहिए । दंगों से कभी देश का हित नहीं हो सकता है|