dar ke aagejeet hai pr ek kahani lekhe(200_250)words
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एक बार की बात है। एक लड़का था। उसका परीक्षा फल आया। वह परीक्षा में असफल हो गया। उसके साथियों ने उसका काफी मजाक उड़ाया। उसे ये बात सहन नहीं हुई। उसने यह बात दिल से लगा ली और उसे लगने लगा कि वह अब कभी सफल नहीं हो पायेगा, इस वजह से वह काफ़ी तनावग्रस्त हो गया। इस असफलता को उसने आख़िरी असफलता मान लिया।
उसके माता पिता ने उसे बहुत समझाया कि ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं है। तुम अगर सफल नहीं हुए तो तुम्हारी जिन्दगी रुक नहीं गयी। आगे जीवन बहुत बड़ा है, अगर तुम अभी से घबरा जाओगे तो कैसे चलेगा। जब तक इन्सान असफलता और सफलता के दौर से नहीं गुजरता, तब तक वह बड़े काम नहीं कर सकता।
इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं हुआ। उसका मन अशांत था और लगातार निराशा उसे घेरने लगी। अशांत मन को जब कुछ समझ नहीं आया। तो वह रात को आत्महत्या करने चल दिया। रास्ते में उसे एक बौद्ध मठ दिखाई दिया। वहाँ से कुछ आवाजें आ रहीं थीं। वह उत्सुकता से उस मठ के अन्दर चला गया।
उस मठ में एक भिक्षुक बैठा था, वह कह रहा था की पानी आखिर मैला क्यों नहीं होता ?
क्योंकि वह हमेशा बहता रहता है…
उसके मार्ग में बाधाएं क्यों नहीं आतीं ?
क्योंकि वह उन्हें पार करके हमेशा बहता रहता है…
पानी की एक बूंद झरने से नदी, नदी से महानदी और फिर अंत में समुद्र क्यों बन जाती है ?
क्यों कि वह बस बहता रहता है…
इसलिये मेरे जीवन तू भी मत रुक, बस बहता चल पानी की तरह। कुछ असफलतायें आयेंगी और आती रहेंगी। मगर तू घबराना मत। बस तू बहता चल. असफलताओं को लांघकर मेहनत करता चल। बहना, चलना और आगे बढ़ते रहना ही जीवन है।
Hope this is helpful!!!
उसके माता पिता ने उसे बहुत समझाया कि ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं है। तुम अगर सफल नहीं हुए तो तुम्हारी जिन्दगी रुक नहीं गयी। आगे जीवन बहुत बड़ा है, अगर तुम अभी से घबरा जाओगे तो कैसे चलेगा। जब तक इन्सान असफलता और सफलता के दौर से नहीं गुजरता, तब तक वह बड़े काम नहीं कर सकता।
इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं हुआ। उसका मन अशांत था और लगातार निराशा उसे घेरने लगी। अशांत मन को जब कुछ समझ नहीं आया। तो वह रात को आत्महत्या करने चल दिया। रास्ते में उसे एक बौद्ध मठ दिखाई दिया। वहाँ से कुछ आवाजें आ रहीं थीं। वह उत्सुकता से उस मठ के अन्दर चला गया।
उस मठ में एक भिक्षुक बैठा था, वह कह रहा था की पानी आखिर मैला क्यों नहीं होता ?
क्योंकि वह हमेशा बहता रहता है…
उसके मार्ग में बाधाएं क्यों नहीं आतीं ?
क्योंकि वह उन्हें पार करके हमेशा बहता रहता है…
पानी की एक बूंद झरने से नदी, नदी से महानदी और फिर अंत में समुद्र क्यों बन जाती है ?
क्यों कि वह बस बहता रहता है…
इसलिये मेरे जीवन तू भी मत रुक, बस बहता चल पानी की तरह। कुछ असफलतायें आयेंगी और आती रहेंगी। मगर तू घबराना मत। बस तू बहता चल. असफलताओं को लांघकर मेहनत करता चल। बहना, चलना और आगे बढ़ते रहना ही जीवन है।
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