India Languages, asked by malekuddinlm3502, 1 year ago

debate on social unity in hindi

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Answered by tanmaybhere100
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इतिहास गवाह है, कि विश्व के वही देश फल-फूल व समृद्ध हो पाए हैं जिनके नागरिकों ने राष्ट्र धर्म को अपने व्यक्तिगत हितों व मतांतरों से सर्वोपरि रखा। आज मनुष्य भले ही आदिम युग से निकल कर आधुनिक युग में आ चुका है लेकिन अपनी आदिमकालिन दुष्प्रवृत्तियों को नहीं छोड़ पाया है। इन दुष्प्रवृत्तियों ने कालांतर में और भी विकराल रूप धारण कर लिया है। मनुष्य ने अपने उन्नत ज्ञान व तकनीक का उपयोग सृजनात्मक कार्यों में कम एवं विध्वंसनात्मक कार्यों में अधिक किया है। आज जो भी आदमी समाज का अगुवा बनता है उसकी प्राथमिकता स्वहित, स्वपरिवार हित के दायरे से आगे नही बढ़ पाती तथा इन्हीं क्षुद्र हितों व स्वार्थ की पूर्ती हेतु ऐसे अगुवा देश को क्षेत्रवाद, अलगाववाद, भाषावाद के दावानल में झोंक देते हैं। आज ऐसी ही कई समस्याओं में से दिनोंदिन नए राज्यों के गठन के लिए उठती मांग हैं जो कि हिंसक आंदोलनो का रूप लेती जा रही है। आज देश का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां इस तरह की मांग नहीं उठ रही हो । लेकिन इसमें सबसे दिलचस्प बात यही है कि इन आंदोलनों से समाज के आम आदमी का कोई सरोकार नही क्योंकि वह बेहतर तरीके से इनके परिणामों से वाकिफ है।

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