Hindi, asked by lalwanimanas7249, 6 months ago

Deep jalata chal poem explanation

Answers

Answered by Rameshjangid
0

दीप जलता चल कविता व्याख्या

दीन दुखी का घर रोशन कर,पुण्य कमाता चल ll

कवि कहते हैं कि जिस तरह दीपक जलता रहता है और हवा चलती रहती है । यह दीपक जब जल जाता हैं तो पूरा घर प्रकाश से रोशन हो जाता हैं । कवि दीपक को जलते हुए लोगो की भलाई करते हुए उसे पूण्य कमाने की बात कह रहा हैं ।

जिस तरह आग (अग्नि) वन में लगी हुई है,-- एकता में सरस भास है– दुई है ,सत्य में भ्रम हुआ है,-- छुईमुई है, मान बढ़ता रहा, उम्र ढलती रही।

कवि कहते हैं कि जिस तरह जंगल में आग लगी हुई है जिस तरह एकता में सरस भास है सत्य में भ्रम हुआ है अर्थात सत्य में धोखा हुआ है जिस प्रकार मनुष्य का मान बढ़ता रहता है और उसकी उम्र ढलती रहती है वह समय के साथ-साथ बूढ़ा हो जाता है वह भी किसी के लिए नहीं रुकता ।इसलिए हमें चलते रहना चाहिए।

समय की बाट पर, हाट जैसे दगी, पलक दल रुक गए आंख जैसे लगी, काल खुलता रहा।

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैं कि जब समय चलता है तो वह किसी के लिए रुकता जिस प्रकार पलक आंख को बंद कर ही देती है उसी प्रकार काल भी निरंतर चलता रहता है इसे रोक पाना असंभव है।

For more questions

https://brainly.in/question/52742165

https://brainly.in/question/1496058

#SPJ1

Similar questions