Social Sciences, asked by vivek677, 1 year ago

define air pollution(written in hindi) (long)​

Answers

Answered by nrisingha
0

Explanation:

Dua ki vajah se Hamari Prakriti bahut dushit Hoti Hai Hamein ya Karya nahin karna chahi Agar Hum Yaar Ko dushit Karte Hain To fir yar humare Swasthya ke liye kharab Hoga Hamein Jyada Se Jyada ped Lagane chahi aur phal Phool Lagana chahiye jisse Hamein oxygen ki Kami Na Ho

Answered by malhijaspal75
2

Answer:

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है।

वायु प्रदूषण के कारण मौतेंऔर श्वास रोग होते है .वायु प्रदूषण की पहचान ज्यादातर प्रमुख स्थायी स्रोतों से की जाती है, पर उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत मोबाइल, ऑटोमोबाइल्स है।कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें, जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए सहायक है, को हाल ही में प्राप्त मान्यता के रूप में मौसम वैज्ञानिक प्रदूषक के रूप में जानते हैं, जबकि वे जानते हैं, कि कार्बन -डाइऑक्साइड प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पेड़-पौधों को जीवन प्रदान करता है।

यह वातावरण एक जटिल, गतिशील प्राकृतिक वायु तंत्र है जो पृथ्वी गृह पर जीवन के लिए आवश्यक है। वायु प्रदूषण के कारण समतापमंडल से हुए ओज़ोन रिक्तीकरण को बहुत पहले से मानव स्वास्थ्य के साथ के पारस्थितिकी तंत्र के लिए खतरे के रूप में पहचाना गया है।

वायु तत्व वस्तुतः प्राण ही है। ऐतिहासिक रूप से वायु का प्रदूषण अग्नि के आविष्कार के साथ ही शुरू हो गया था। इसके बाद लौह और सोने की प्रोसेसिंग के साथ इसमें वृद्धि होने लगी और कोयले के उपयोग के साथ लगातार वृद्धि हो रही है। 18 वीं शताब्दी के वाष्प इंजन के आविष्कार के साथ और औद्योगिक क्रान्ति के साथ प्रदूषण के एक नये युग का प्रारम्भ हुआ। इस दौरान मोटर वाहनों में वृद्धि के साथ ही इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) के अनुसार ‘वायु प्रदूषण एक एैसी स्थिति है जिसके अन्तर्गत बाह्य वातावरण में मनुष्य तथा उसके पर्यावरण को हानि पहुचाने वाले तत्व सघन रूप से एकत्रित हो जाते हैं।‘ दूसरे शब्दों में वायु के सामान्य संगठन में मात्रात्मक या गुणातात्मक परिवर्तन, जो जीवन या जीवनोपयोगी अजैविक संघटकों पर दुष्प्रभाव डालता है, वायु प्रदूषण कहलाता है।

वायु मण्डलीय प्रदूषण विश्व की राजनैतिक सीमाओं से परे हैं। यह अपने स्रोतों से दूर के वायुमण्डलों और मानवीय बस्तियों को प्रभावित करता है। मानवीय क्रिया कलापों से उत्पन्न प्रदूषण में विद्युत गृह (विशेषतः कोयले पर आधारित), अम्लीय वर्षा, मोटरवाहन, कीटनाशक, जंगल की आग, कृषि कार्यों द्वारा उत्पन्न कचरा, सिगरेट का धुआं, रसोई का धुआं आदि प्रमुख कारक हैं। इससे पूर्व इन कारकों पर विस्तार से चर्चा करें, वायु प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य एवं जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधें पर क्या दुष्प्रभाव पडता है

मानव (मनुष्य जाति) के विभिन्न क्रिया कलापों द्वारा वायु प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के प्रमुख मानवीय स्रोत निम्न हैं -

1- वनों का विनाश -

जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि के कारण कृषि भूमि, आवासीय भूमि, औद्योगीकरण इत्यादि मानवीय मांगों की पूर्ति बढ़ी है। जिसकी आपूर्ति वनों को काटकर की जा रही है। वनों की उपस्थिति में पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है वनों के विनाश के कारण यह असंतुलित हो गया है।

2- उद्योग/कल कारखाने (लघु, मध्यम, वृहद) -

वायु प्रदूषण के स्रोतो में उद्योग मुख्य कारक है। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व में औद्योगीकरण हुआ परन्तु साथ ही वायु मण्डलीय प्रदूषण जैसी गम्भीर समस्या में बढ़ोत्तरी हुई है। उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली विभिन्न गैसें जैसे कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर मोनो आक्साइड, सल्फर के. आक्साइड, हाइड्रोकार्बन्स, धूल के कण, वाष्प कणिकायें, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

3- परिवहन -

परिवहन वायु प्रदूषण का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या वृद्धि के साथ ही परिवहन के साधनों में भी बहुतायत से वृद्धि हुयी है। स्वचालित वाहनों में प्रयुक्त पेट्रोल एवं डीजल के दहन के फलस्वरूप कई वायुप्रदूषकों की उत्पत्ति होती है यथा कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन एवं सल्फर के आक्साइड, धुंआ, शीशा आदि। एक स्वचालित वाहन द्वारा एक गैलन पेट्रोल के दहन से लगभग 5x20 लाख घनफीट वायु प्रदूषित होती है।

4- घरेलू कार्यों से -

मनव जीवन के संचालन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इनमें घरेलू कार्य, उद्योग, कृषि, परिवहन आदि सम्मिलित हैं। घरेलू कार्यों जैसे भोजन पकाना, पानी गर्म करना आदि में कोयला, लकड़ी, उपले, मिट्टी का तेल, गैसें इत्यादि का प्रयोग ईंधन के रूप में होता है। इन जैविक ईधनों के दहन के फलस्वरूप विभिन्न विषैली गैसों का निर्माण होता है, जो कि वायुमण्डल को प्रदूषित करतीं हैं। इनसे कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बनिक कण, धुंआ इत्यादि जैसे प्रदूषक निकलते हैं। परम्परागत ईंधन (लकड़ी, कोयला, उपला) की तुलना में रसोई गैस (एलपीजी) गैस अधिक प्रदूषण करती है। आधुनिक घरों में रेफ्रीजरेटर, एअर कण्डीशनरों का प्रयोग एक सामान्य सी बात है। इन विद्युत चालित उपकरणों से निकलने वाली क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस (सीएफसी) वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन परत की विनाश का सबसे अधिक उत्तरदायी कारक है।

hope it will help you....

mark it as brainliest answer....

Similar questions