definition of purvakalik kriya, prernarthak kriya, sakarmak kriya, akarmak kriya and kriya
please keep it very simple.....
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Answer:
१) प्रेरणार्थक क्रिया-:
जिस क्रिया से इस बात का ज्ञान हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी अन्य को उसे करने के लिए प्रेरित करता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं ।
जैसे-बोलना- बोलवाना, पढ़ना- पढ़वाना, खाना- खिलवाना, इत्यादि ।
२)सकर्मक क्रिया -:
जिस क्रिया के पूर्ण अर्थ बोधन के लिए कर्म की उपस्थिति अनिवार्य हो वह सकर्मक क्रिया कहलाती है, जैसे- 'मैंने पुस्तक ख़रीदी।
३)अकर्मक क्रिया-:
वाक्य में ऐसी क्रिया जिसे अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता नही पड़ती, उसे अकर्मक क्रिया कहते है।
Answer:
जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों की वजह से कर्म की आवश्यकता होती है उसे सकर्मक क्रिया होती है। सरल शब्दों में- जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
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