Hindi, asked by nahush4869, 10 months ago

Desh bhakthi short story for project

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Answered by Arjunsingh2004
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Explanation:

देशभक्ति कहानी – desh bhakti kahani

सुषमा और अनुपमा दो सहेलियां थी. दोनों पढ़ने में बहुत तेज थी. उन दोनों में कॉलेज में फर्स्ट आने की हमेशा

होड़ लगी रहती थी. दोनों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली. कुछ समय के बाद उन दोनों के घर में शादी की बात की जाने लगी.

अनुपमा बहुत महत्वाकांक्षी लड़की थी , वह चाहती थी कि उसकी शादी किसी बहुत ही अमीर लड़के से हो.

जबकि सुषमा को किसी साधारण लड़के से शादी करने में कोई समस्या नहीं थी.

अनुपमा की शादी एक बड़े नेता के बेटे से हो गई. सुषमा की शादी एक सैनिक से हो गई. कुछ समय बाद

दोनों मां बन गई. अनुपमा के बच्चे अपने पिता के धन और सत्ता के नशे में बहक गए. वे अपनी ही दुनिया

में मस्त रहते थे, अबे अपनी मां की ना तो परवाह करते थे और ना उचित सम्मान देते थे. अनुपमा के पति

राजनीति में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे और अनुपमा के प्रति लापरवाह रहते थे. अब अनुपमा के पास सब

कुछ था, सत्ता भी और पैसे भी. लेकिन उसके पास ना तो परिवार की खुशी थी और ना ही सुख शांति.

सुषमा के पति कभी सीमा पर तैनात रहते थे, तो कभी किसी और स्थान पर. इस कारण सुषमा और

उसके पति अक्सर दूर रहते थे. लेकिन दोनों के बीच बहुत प्यार था और वे दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझते थे.

एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. सुषमा के दो बच्चे थे, एक लड़का और एक लड़की. सुषमा ने अपने बच्चों को

संस्कारवान और समझदार बनाया था. सुषमा ने उनकी जरूरतें तो पूरी की, लेकिन उन्हें जरूरतों और फिजूलखर्ची

के बीच का अंतर भी समझाया था. सुषमा ने मैं अपने बच्चों को आजादी तो दी थी, लेकिन उन्हें अनुशासन

की सीमा में रहना भी सिखाया था. दूसरी ओर अनुपमा के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं था,

ना सुख, ना शांति, ना अपनापन और ना किसी बात का गर्व.

समय बीतता गया, एक दिन खबर आई कि सुषमा के पति ने सीमा पर आतंकवादियों से लड़ाई करते

हुए युद्ध में वीरगति पाई. सुषमा पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. सरकार द्वारा शहीद सैनिकों को दी जाने

वाली पेंशन और आर्थिक सहायता के कारण, सुषमा को कोई आर्थिक दिक्कत नहीं हुई. लेकिन वह फिर भी

खुद को थोड़ा अकेला महसूस करने लगी. एक दिन अचानक अनुपमा सुषमा से मिलने आई, दोनों ने एक

दूसरे का हाल चाल पूछा. अनुपमा सुषमा को यह बताने लगी कि  कैसे पैसा और ताकत होने के बावजूद कैसे

वह अकेली पड़ गई है. कैसे अनुपमा नाममात्र की सुहागन रह गई है. अनुपमा ने सुषमा से कहा, तुम तो विधवा

होते हुए भी सदा सुहागन रहोगी. क्योंकि तुम्हारे पास तुम्हारे पति के प्यार की सुनहरी यादें रहेंगी.

तुम्हें इस बात का गर्व रहेगा, कि तुम्हारे पति देश के लिए जिए और देश के मरे. तुम्हारी जिंदगी मेरी जिंदगी

से कहीं बेहतर है. मैं भले ही सदा सुहागन का जोड़ा पहनूँ, लेकिन वास्तव में सदा सुहागन तुम ही रहोगी.

Moral message of the story :

सैनिक के परिवार की जिंदगी किसी दूसरे की चमक-धमक भरी जिंदगी से ज्यादा बेहतर और सार्थक होती है.

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