desha bhakti se sambandhitt kisi ekanki ka sankalan ?
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जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है…
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है……
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है….
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है………..
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है…..
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है…………
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है……
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है……………..
– अभिषेक मिश्रमैं भारत माता हूँ
इतने व्यस्त हो गए तुम, कि तुम्हारा देशप्रेम साल में 2 बार जगता है
उन सैनिकों के बारे में सोचो, जिनके जीवन का पल-पल देश के लिए लगता है
कोई देश के लिए शान से मरता है………….
और एक तुम हो, जिसे देश के लिए जीना भी मुश्किल लगता है ?
On field Players और On Screen Heroes आदर्श बन गए हैं तुम्हारे
उन लोगों को तुम याद तक नहीं करते, जो Real Life में Heroes हैं
जरा सोचो इन खोखले Role Models ने तुम्हें क्या दिया है अबतक ?
तुम अपने आदर्श बदल लो, इससे पहले कि औंधे मुँह गिरो तुमपार्टी विरोधियों के विरुद्ध डटकर खड़े हो जाते हो तुम
राष्ट्र विरोधियों के विरुद्ध क्यों नहीं आवाज उठाते हो तुम ?
राजनीति, सत्ता सुख पाने का जरिया है जिनके लिए उन्हें क्यों पूजते हो तुम ?
इससे पहले कि देर हो जाए, राष्ट्रनीति को राजनीति का विकल्प बना लो तुम
न एक शिक्षा नीति, न समान नागरिकता नीति
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है……
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है….
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है………..
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है…..
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है…………
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है……
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है……………..
– अभिषेक मिश्रमैं भारत माता हूँ
इतने व्यस्त हो गए तुम, कि तुम्हारा देशप्रेम साल में 2 बार जगता है
उन सैनिकों के बारे में सोचो, जिनके जीवन का पल-पल देश के लिए लगता है
कोई देश के लिए शान से मरता है………….
और एक तुम हो, जिसे देश के लिए जीना भी मुश्किल लगता है ?
On field Players और On Screen Heroes आदर्श बन गए हैं तुम्हारे
उन लोगों को तुम याद तक नहीं करते, जो Real Life में Heroes हैं
जरा सोचो इन खोखले Role Models ने तुम्हें क्या दिया है अबतक ?
तुम अपने आदर्श बदल लो, इससे पहले कि औंधे मुँह गिरो तुमपार्टी विरोधियों के विरुद्ध डटकर खड़े हो जाते हो तुम
राष्ट्र विरोधियों के विरुद्ध क्यों नहीं आवाज उठाते हो तुम ?
राजनीति, सत्ता सुख पाने का जरिया है जिनके लिए उन्हें क्यों पूजते हो तुम ?
इससे पहले कि देर हो जाए, राष्ट्रनीति को राजनीति का विकल्प बना लो तुम
न एक शिक्षा नीति, न समान नागरिकता नीति
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