details about ras class 10th?
Answers
1. हास्य रस
2 रौद्र रस
3 शान्त रस
4 भयंकर रस
5 बीभत्स रस
6 करुण रस
7 शृंगार रस
8 वीर रस
9 अद्भुत रस
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रस 9 प्रकार के होते है:-
1)श्रृंगार रस
इसका संबंध स्त्री-पुरुष के रति से है।इसे रसो का राजा कहा गया है।
इसके दो भेद है:-
★संयोग श्रृंगार=जब नायक-नायिका के मिलने और प्रेम क्रियाओ का वर्णन होता है ,तो संयोग श्रृंगार होता है।
उदहारण-एक जंगल है तेरी आँखों में,
मैं जहाँ राह भूल जाता हूं।
तू किसी रेल-सी गुजरती है,
मैं किसी पुल-से धरधराता हूँ।
★वियोग श्रृंगार=जब नायक-नायिका को बिछड़ने का वर्णन होता है ,तो वियिग श्रृंगार होता है।
उदहारण-निसि दिन बरसत हैं हमारे,
सदा रहति पावस ऋतु हमपे,
जबते स्याम सिधारे।
2)हास्य रस=जब किसी काव्य आदि को पढ़कर हँसी आये, तो वहाँ पर हास्य रस आएगा।
उदहारण-चींटी छड़ी पहाड़ पे मरने के वास्ते,
नीचे खड़े कपिल देव कैच करने के वास्ते।
3)करुण रस=प्रिय व्यक्ति या वस्तु की हानि का शोक जब विभाव,अनुभाव,संचारी आदि भावो से पुष्ट होकर व्यक्त होता है ,तो उसे करुण रस कहते है।
उदहारण-दुख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज जो नही कल।
4)शैद् रस=किसी काव्य में किसी व्यक्ति के क्रोध का वर्णन होता है,तो वहाँ शैद् रस होता है।
उदहारण-अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा,
यह मत लद्धिमत के मन भाव।
सन्धानेहु प्रभु बिसिख कराला,
उठि ऊदशी उर अंतर ज्वाला।
5)वीर रस=जब किसी काव्य में किसी की वीरता का वर्णन होता है,तो वहाँ वीर रस होता है।
उदहारण-तनकर भाला यूं बोल उठा,
राणा मुझको विश्राम न दे।
मुझको पैरी हृदय-क्षोम ,
तू तनिक मुझे आराम न दे।
6)भयानक रस=जहाँ भय स्थायी भाव पुष्ट ओर विकसित हो,वहाँ भयानक रस होता है।
उदहारण-एक ओर अजगर हिं लखि,
एक ओर मृगराय,
बिकट बटोही बीच ही,
परयो मुर्छा खाय।
7)वीभत्स रस=जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य प्रति घृणा का भाव हो,वहाँ वीभत्स रस होता है।
उदहारण-सिर पर बैठ्यो काग आंख दोउ खात निकारत,
खींचत जीभही स्यार अतिहि आनंद उर धरती,
गिद्ध जांघि को खोदि-खोदि कै माँस उपारत,
स्वान अंगुरिन काटि-काटि कै खात विदारत।
8)अद्भुत रस=जब किसी विचित्र वस्तु के देखने व सुनने से आश्चर्य का परिपोषण हो,तब अद्भुत रस होता है।
उदहारण-कनक भू धराकर सरिश,
समर भयंकर अतिबल बीरा।
9)शांत रस=जब कभी ऐसे काव्यों को पढ़कर मन मे शांति का भाव उत्पन्न हो ,तो शांत रस होता है।
उदहारण-मेरो मन अनत सुख पाते ,
जैसे उड़ी जहाज को पंछी फिर,
जहाज पै आवै।