ढाँचे पर से कहानी लिखिए एवं शीर्षक दीजिए |
एक नौकर द्वारा हार चोरी करना - सेठ का सभी नौकरों से पूछना - किसी का चोरी कबूल न करना - सेठ
द्वारा युक्ति करना - प्रत्येक को सात-सात इंच की लकड़ी देना - जादू की छड़ी होने की बात कहना - दूसरे दिन
देखने को कहना - चोर की लकड़ी एक इंच बढ़ जाएगी - घर जाकर हार चुरानेवाले नौकर का एक इंच लकड़ी
काटना - दूसरे दिन चोर का पकडे जाना - सीख |
Answers
Explanation:
उँगली पिस्तौल
की तरह हेतू की छाती पर दगाकर बोली, “अब दोनों कान खोलकर सुन लो। जो यहाँ चोरी-
चकारी की तो सीधा हवालात में भिजवा दूंगी। जो यहाँ काम करना है तो पाई-पाई का हिसाब
ठीक देना होगा।"
श्रीमती जी का विचार नौकरों के बारे में वही कुछ था, जो अकसर लोगों का है कि सब
झूठे, गलीज और लंपट होते हैं। किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता। सभी झूठ बोलते हैं,
सभी पैसे काटते हैं और सभी हर वक्त नौकरी की तलाश में रहते हैं, जो मिल जाए तो उसी
वक्त घर से बीमारी की चिट्ठी मँगवा लेते हैं। श्रीमती जी का व्यवहार नौकरों के साथ नौकरों
का-सा ही था। यों भी घर में उनकी हुकूमत थी। जब उन्हें पतिदेव पर गुस्सा आता तो अंग्रेजी
में बात करतीं और जब नौकर पर गुस्सा आता तो गालियों में बात करतीं। दोनों की लगाम
खींचकर रखतीं। उनकी तेज नजर पलंग पर बैठे-बैठे भी नौकर के हर काम की जानकारी रखती