"ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होई", इस पंक्ति का भाव पल्लवन कीजिए
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ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय इसका अर्थ यह है कि संसार में केवल किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीं है प्रेम या की प्रेम के ढाई अक्षर का होता है लेकिन में छुपा हुआ महत्त्व लाखों अक्षरों को मात दे देता है अगर आप किसी से भी प्रेम भावना से बात करते हैं तो आप भी उससे प्रेम पपाएंge
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