Hindi, asked by pbunny135, 6 months ago

dharie रहने से क्या लाभ है in hindi​

Answers

Answered by satyamraiaa
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Explanation:

Turtle perform an important function.(Use Which)

2) Innurmerable Dangers a wait the little hatchlings.They have to face their own

Answered by ranurai58
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Answer:

धैर्यवान होना सरल काम नहीं है। यह कहना भी शायद गलत न हो कि आज की दुनिया में धैर्यवान बनना सबसे कठिन काम है। धैर्यवान होना एक विशेषता है व इसे विकसित किया जाना चाहिए। धैर्यवान बनने के लिए अभ्यस्त होना भी सरल काम नहीं है। लेकिन जो लोग धैर्यवान होते हैं उन्हें विभिन्न मार्गो से इसका फल मिलता है। हर व्यक्तिके दिनचर्या के लक्ष्य होते हैं, जो उसके प्रयास का कारण बनते हैं। केवल इस अंतर के साथ उद्देश्यों का महत्व एक जैसा नहीं होता। उदगम से गंतव्य तक पहुंचना सरल काम नहीं होता बल्कि इस बात की संभावना होती है कि लंबे मार्ग में समस्याओं के कारण मनुष्य की रफ्तार कम या फिर पूरी तरह रुक जाए। यदि व्यक्तिके पास पर्याप्त अनुभव न हो तो संभव है कि वह आरंभिक रुकावटों का सामना होने पर हताश व निराश हो जाए। इस हताशा व निराशा से वह आगे बढ़ने से रुक जाए। अगर वह हताशा और निराशा से अपने कदम रोक लेता है तो इसमें कोई संदेह ही नहीं रह जाता कि वह लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग से दूर हो जाएगा। लेकिन यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त अनुभव हो और वह उद्देश्य तक पहुंचने में सहायता करने वाले तत्वों को पहचानता हो तो इस बात में संदेह नहीं कि उसकी सफलता की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी। धैर्य का अर्थ शांति के साथ कदम उठाना और परिणाम की प्रतीक्षा करना है। उतावलेपन का अर्थ तुरंत परिणाम तक पहुंचने की प्रतीक्षा करना। यह मनुष्य की बहुत बड़ी कमियों में से एक है। शब्दकोष में धैर्य का अर्थ स्वयं को रोकना है। जब कोई व्यक्ति ख़ुद को किसी काम से रोक ले कि जिसे वह कर सकता हो तो ऐसे व्यक्ति के बारे में यह कहा जाएगा कि उसने धैर्य से काम लिया। धैर्य की आम परिभाषा यह होगी कि ख़ुद को ऐसे काम से रोकना जो लक्ष्य तक पहुंचने में रुकावट या उस तक देर तक पहुंचने का कारण बने। इस परिभाषा के तहत धैर्य अपने आप में कोई नैतिक गुण नहीं कहलाएगा बल्कि यह एक प्रकार का प्रतिरोध है जो मन पर काबू होने से प्राप्त होता है। यह प्रतिरोध ऐसी स्थिति में नैतिक विशेषता कहलाएगी जब किसी धैर्यवान व्यक्ति का उद्देश्य नैतिक परिपूर्णत: तक पहुंचना और ईश्वर का निकटता प्राप्त करना हो। जीवन में लक्ष्य तक पहुंचने के लिए यह आवश्यक है कि मानव धैर्य के सदाचार को जीवन का अंग बनाए और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करे।

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