Dhool ka mahatva kya hai?
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लेखक ने 'धूल' पाठ में धूल का महत्व बताते हुए कहा है कि धूल से ही हमारा शरीर बना है और ग्रामीण सभ्यता का वास्तविक सौन्दर्य 'धूल' ही है, परन्तु आजकल नगर के वासी इससे दूर रहना चाहते हैं। धूल श्रद्धा, विश्वास, भक्ति और स्नेह के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं। योद्धा धूल को आँखों से लगाकर देश के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
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