dialogue on pradushan ek samasya
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hello frnd,
well! it took time to write in Hindi but I had done for u,
मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए-
नीभा- ( हैरानी से) अरे! तुम सब एक साथ क्या बात है? सूरज कहाँ से निकला?
कमला- अंदर तो आने दे। थोड़ा पानी पिला तभी अपने आने के कारण बताएँगे।
नीभा- पानी का गिलास लाकर कहती है। कहाँ चली तुम तीनों बताओ न।
ऊषा- कुछ नहीं महिला समाज की मीटिंग है। उसी में जा रही हैं। तुम्हें भी लेने आई हैं।
नीभा- अच्छा तो ये बात है। अच्छा किया मैं भी सोच रही थी कि इस बार मैं भी चूलँगी। वैसे इस बार की मीटिंग का विषय क्या है।
शांति- (गंभीरतापूर्वक)-प्रदूषण की समस्या।
नीभा- वाह! बहुत अच्छा विषय है। आजकल हमारे आस-पास देखो कितना प्रदूषण फैल रहा है। इस प्रदूषण के कारण शहरों में रहना असंभव सा होता जा रहा है। अनेकों प्रकार की बीमारियाँ मुँह फाड़े खड़ी हैं। छोटे-छोटे बच्चे तक इसकी चपेट में आए हुए हैं।....
best wishes,
plz mark it brainliest.
well! it took time to write in Hindi but I had done for u,
मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए-
नीभा- ( हैरानी से) अरे! तुम सब एक साथ क्या बात है? सूरज कहाँ से निकला?
कमला- अंदर तो आने दे। थोड़ा पानी पिला तभी अपने आने के कारण बताएँगे।
नीभा- पानी का गिलास लाकर कहती है। कहाँ चली तुम तीनों बताओ न।
ऊषा- कुछ नहीं महिला समाज की मीटिंग है। उसी में जा रही हैं। तुम्हें भी लेने आई हैं।
नीभा- अच्छा तो ये बात है। अच्छा किया मैं भी सोच रही थी कि इस बार मैं भी चूलँगी। वैसे इस बार की मीटिंग का विषय क्या है।
शांति- (गंभीरतापूर्वक)-प्रदूषण की समस्या।
नीभा- वाह! बहुत अच्छा विषय है। आजकल हमारे आस-पास देखो कितना प्रदूषण फैल रहा है। इस प्रदूषण के कारण शहरों में रहना असंभव सा होता जा रहा है। अनेकों प्रकार की बीमारियाँ मुँह फाड़े खड़ी हैं। छोटे-छोटे बच्चे तक इसकी चपेट में आए हुए हैं।....
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plz mark it brainliest.
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