Hindi, asked by chobing2894, 1 year ago

Difference between labour licence and epf challan contractor in hindi

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Answered by Deepak4311
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पब्लिक प्रोविडेंट और इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड निवेश के दो बेहतरीन विकल्प हैं। इनमें किया गया निवेश न सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है बल्कि इसमे मिलने वाला आकर्षक रिटर्न भी लोगों को लुभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि निवेश के ये दोनों विकल्प जो एक जैसे मालूम होते हैं इनमें एक मूलभूत अंतर होता है और यह अलग अलग जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल में लाया जाता है। हम अपनी खबर के माध्यम से आपको इन दोनों के बीच यही मूलभूत अंतर बताने की कोशिश करेंगे। जानिए
पीपीएफ खाते से जुड़े 10 अहम सवालों के ये हैं जबाव
ईपीएफ: ईपीएफ अकाउंट नौकरी पेशा लोगों के लिए होता है। इसमें आपका नियोक्ता सैलरी का कुछ फीसद हिस्सा काटकर (मौजूदा समय में 12 फीसद) पीएफ ऑफिस में जमा करा देता है। यह तय रकम सरकार की ओर से निर्धारित होती है और इस तय रकम में नियोक्ता भी अपना हिस्सा (हमारी सीटीसी का हिस्सा) जोड़कर जमा करवाता है। इसमें आपके निवेश पर 8.5 फीसद ब्याज मिलता है। आपको बता दें कि ईपीएफ का पैसा आप अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ने के 3 महीने बाद कभी भी निकाल सकते हैं।
पीपीएफ: पब्लिक प्रोविडेंट फंड केंद्र सरकार की ओर से संचिलित एक स्कीम है। यह स्कीम बैंक और पोस्ट ऑफिस की ओर से चलाई जाती है। आप अपनी स्वेच्छा से इसमें अपना खाता खुलवा सकते हैं। ऐसा खाता खुलवाने के लिए जरूरी नहीं कि आप वैतनिक हों। अगर आप बतौर सलाहकार, फ्रीलांसर और संविदा (अनुबंध) के आधार पर काम करते हैं तब भी आप अपना खाता इसमें खुलवा सकते हैं। इसमें आपके निवेश पर 8.7 फीसद ब्याज मिलता है। पीपीएफ का पैसा आमतौर पर 15 साल की मैच्योरिटी के बाद ही निकाला जा सकता है।
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