difference between sakarmak and akarmak kriya and easiest way to identify it
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IN AKARMAK KRIYA WE DON'T GET THE ANSWER FROM THE VERB TO QUESTIONS LIKE KAISE, KISH PRAKHAR
FOR EXAMPLE- PAQSHI UDHTE HAIN. IN THIS QUESTION THERE IS NO MENTION HOW BIRD FLIES WHEN ASKED QUESTIONS.
IN SAKARMAK KRIYA WE GET ANSWER TO THE QUESTIONS
FOR EXAMPLE - MOHAN NE DUDH PIYA.
KYA PIYA :DUDH
FOR EXAMPLE- PAQSHI UDHTE HAIN. IN THIS QUESTION THERE IS NO MENTION HOW BIRD FLIES WHEN ASKED QUESTIONS.
IN SAKARMAK KRIYA WE GET ANSWER TO THE QUESTIONS
FOR EXAMPLE - MOHAN NE DUDH PIYA.
KYA PIYA :DUDH
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(1) अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya)–जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर ही पड़े, उसे अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) कहते हैं । अकर्मक क्रिया का कोई कर्म (कारक) नहीं होता, इसीलिए इसे अकर्मक कहा जाता है ।
जैसे-श्याम रोता है। वह हँसता है । इन दोनों वाक्यों में ‘रोना’ और ‘हँसना’ क्रिया अकर्मक हैं, क्योंकि यहाँ इनका न तो कोई कर्म है और न ही उसकी संभावना है । ‘रोना’ और ‘ हँसना।” क्रियाओं का फल कर्ता पर (ऊपर के उदाहरणों में ‘श्याम’ और ‘वह’ कर्ता हैं) ही पडता है ।
(2) सकर्मक क्रिया (Sakarmak Kriya)–जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर न पड़कर किसी दूसरी जगह पड़ता हो, तो उसे सकर्मक क्रिया (Sakarmak Kriya) कहते हैं
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