Hindi, asked by harrygill6742, 1 year ago

dil aur dimag me antar

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Answered by jatin6971
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Dil sine me hot hai aur dimag sir me
Answered by MavisRee
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दिल और दिमाग में अंतर  

विवेक अर्थात  आत्मा और दिल अर्थात  मन जब भी हम कोई काम करते हैं हमें पता होता है कि ये काम अच्छा  है या बुरा I अच्छे काम को जो हमेशा धैर्य पूर्वक करता है कभी  फालतू बातें नहीं करता तो समझिये कि उसमें विवेक है I जो व्यक्ति अपने मन की सुनता है मन की करता है  विवेक उसे भी एक बार सावधान करता है I लेकिन मन विवेक पर हावी हो जाता है और गलत काम हो जाते हैं आये दिन अखबार में हम चोरी छिना झपटी बैंक में डाका या दुष्कर्म के मामले छापते ही रहते हैं I और जब उसमे किसी जाने पहचाने व्यक्ति का नाम मिलता है तो हम स्तब्ध रह जाते हैं कि इस व्यक्ति से ऐसा काम कैसे हो सकता है I यहाँ तक जो फ़िल्मी चरित्र हीरो बनते हैं उनका भी मामला यौन उत्पीडन में आया है जैसे  :कलाकार आलोकनाथ हर हमेशा वो एक सज्जन की भूमिका में रहे हम उनके करीब नहीं रहतेI घटनाएं तो सुनते हैं लेकिन विश्वास नहीं होता Iअर्थात इनमें विवेक है लेकिन  मन इतना अधिक हावी हो जाता है कि विवेक शुन्य हो जाता है I

"जब नाश मनुष्य पर छाता  है ,पहले विवेक मर जाता है I"जो विद्यार्थी नींद भूख खेल कूद सबकुछ छोड़कर परीक्षा की तैयारी में निरंतर लगा रहता है वो अव्वल आता ही हैI  जिस छात्र का मन कहता है कि थोडा और सो जाते हैं अभी समय है न परीक्षा की तयारी हो जाएगी I जब कम मार्क्स मिलते हैं तब दुखी होता है और सबों से कहता है  कि, मैं तो उससे तेज था पता नहीं रिजल्ट में क्यूँ गड़बड़ी हुई दरअसल उसने मन की बात मानी विवेक को भू गया I एक खुनी भी जब किसी का खून करता है तो आत्मा उसे रोकती है  ,कि ये काम गलत है लेकिन मन उससे खून करवा ही डालता है परिणाम तो खराब होगा ही इसीलिए "दिल और दिमाग में भेद होता है I"

"दिल भटकाएगा चहुँ ओर ,दिमाग देगा एक नयी भोर  

बंधू मेरे इतना जान ,दिमाग का कहा हमेशा मान II


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