Do belo Ki Katha Kahani ke Mukhya Patron ka sambandh bhartiyon ki durdasha se lekhak Mein Juda hai
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"दो बैलों की कथा" कहानी में मुख्य पात्र हीरा और मोती हैं। हीरा और मोती को बार-बार अपने मालिक के घर से निकाल दिया गया। उन पर बहुत अत्याचार हुए लेकिन हमारी हार नहीं मानी, वो आखिरकार अपने मालिक के पास पहुंच ही गए। इसी प्रकार भारतीयों की भी दुर्दशा हुई है। वे अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को समय से पहचान गए, अंग्रेजों ने उनके ऊपर अत्याचार हुआ और उनको बहुत सारी प्रताणनाएं भी दी गई। भारतीयों ने भी बैलों की तरह ही हार नहीं मानी और आखिरकार अपनी आजादी प्राप्त कर ली।
जिस प्रकार हीरा और मोती में भूखा प्यासा रहकर, प्रताड़ना सह कर, मार खाकर, आखिरकार अपनी आजादी प्राप्त कर ही ली । उसी प्रकार भारतीयों ने भी किसी भी तरह संघर्ष जारी रखा और अपनी आजादी को प्राप्त किया। इस प्रकार 'दो बैलों की कथा' कहानी के मुख्य पात्र का संबंध भारतीयों की दुर्दशा से जुड़ा हुआ है।
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