Hindi, asked by shakshisanwal123, 2 months ago

Do belo Ki Katha par Saransh class 9th​

Answers

Answered by YACHIKAarmygirl
0

Explanation:

here is your answer

प्रेमचंद जी की बहुत सी रचनाओं में दो

बैलों की कथा भी एक अदभुत रचना है। उनका जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गांव में हुआ था। उनका असली नाम

धनपत राय था। उनका देहांत सन 1936 में हो गया था। इस कहानी के माध्यम से उन्होंने इंसानों और जानवरों के आपसी रिश्ते को समझने की कोशिश की है।

यह कहानी दो बैल हीरा और मोती की है जिनको झुरी ने बड़े ही प्यार से पाला था। एक बार किसी कारण झुरी को उन बैलों को अपने ससुराल गया के पास छोड़ना पड़ता है। लेकिन हीरा और मोती को लगता है कि उनके मालिक ने उन्हें गया को बेच दिया है इसलिए से जल्दी से उसके चंगुल से छूट के अपने घर जाना चाहते थे। रात को जब गया उन्हें चारा देके सो गया होता है तब से दोनों रस्सी तोड़ के झुरी के पास आ जाते है उन्हें देख के झुरी बहुत खुश होता है लेकिन उसकी पत्नी को बहुत गुस्सा आता है और वह उन्हें कामचोर समझती है।

दूसरी बार जब गया उन्हें फिर के जाता है तो न तो वे ढंग से खाना खाते है और न ही हल चलाते हैं। उस घर में एक छोटी बच्ची जो उन्हें कुछ रोटियां खिलाती थी एक रात उनको खोल देती है ताकि वो दोनो उस कैद से भाग जाएं। वे दोनों काफ़ी देर दौड़ने के बाद एक अनजान जगह पहुंच जाते है और वहां मटर के खेत है हरे भरे मटर खाने लगते है उतने में कुछ लोग उन्हें घेर लेते है और कंजी हौस में कैद कर देते है। काफी दिन वहां भी अनेकों यातनाओं को सहने के बाद उनको एक कसाई के हाथों बेच दिया जाता है। उसके साथ चलते चलते जब वे अपने घर के रास्ते को पहचान लेते है वो दौड़ते हुए झुरी के पास पहुंचते है और झुरी की पत्नी भी उन्हें प्यार से चूम लेती हैं।

Answered by Diamonds897
0

Answer:

जानवरों में गधे को सबसे बुद्धिहीन माना जाता है क्योंकि वह सबसे सीधा तथा सहनशील है। वह सुख–दुख तथा हानि–लाभ दोनों में ही एक समान रहता है। भारतीयों को इसी सहनशीलता तथा सीधेपन के कारण अफ्रीका तथा अमेरीका में अपमान सहन करना पड़ता था। गधे से थोड़ा ही कम सीमा प्राणी है बैल। उसका स्थान गधे से नीचा है क्योंकि वह कभी–कभी अड़ जाता है। झूरी के पास हीरा और मोती नाम के दो बैल थे। वे दोनों ही पछाहीं जाति के सुंदर, सुडौल और चैकस बैल थे। लंबे समय से एक–दूसरे के साथ रहते–रहते उनमें आपस में बहुत प्रेम हो गया था। वे हमेशा साथ–साथ ही उठते–बैठते व खाते–पीते थे। वे आपस में एक–दूसरे को चाटकर तथा सूघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों आखों के इशारे से ही एक–दूसरे की बात समझ लेते थे। झूरी ने एक बार दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया। बेचारे बैल यह समझे कि उनके मालिक ने उन्हें बेच दिया है। इसलिए वे जाना नहीं चाहते थे। जैसे–तैसे वे झूरी के साले ‘गया’ के साथ चले तो गए किन्तु उनका वहा मन नहीं लगा। अतः उन्होंने वहाँ चारा नहीं खाया। रात को दोनों बैलों ने सलाह की और चुपचाप झूरी के घर की ओर चल दिए। सुबह चरनी पर खड़े बैलों को देखकर झूरी बहुत खुश हुआ। घर के तथा गाँव के बच्चों ने भी तालिया बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी नाराज होकर उन्हें नमकहराम कहने लगी। गुस्से में उसने बैलों को सूखा चारा डाल दिया। झूरी ने नौकर से चारे में खली मिलाने को कहा किन्तु मालकिन के डर से उसने खली नहीं मिलाई।

दूसरे दिन ‘गया‘ दोबारा हीरा–मोती को ले गया। इस बार उसने उन्हें मोटी–मोटी रस्सियों में बाँध दिया तथा खाने को सूखा चारा डाल दिया। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और अगले दिन हल जोतने से मना कर दिया। गया ने उन्हें डंडों से मारा। उन्होंने हल, जोत, जुआ सब तोड़ दिया और भाग गए किन्तु गले में लंबी-लंबी रस्सिया थीं, अतः पकड़े गए। अगले दिन उन्हें फिर से सूखा चारा मिला। शाम के समय भैरों की नन्हीं लड़की दो रोटियाँ लेकर आई। वे उन्हें खाकर प्रसन्न हो गए। लड़की की सौतेली माँ उसे बहुत परेशान करती थी। मोती के दिल में आया कि वह भैरों तथा उसकी नई पत्नी को उठाकर फेंक दे किन्तु लड़की का स्नेह देखकर चुप रह गया। अगली रात उन्होंने रस्सियाँ तुड़ाकर भागने की तैयारी कर ली। रस्सी को कमजोर करने के लिए वे उसे चबाने लगे। पर उसी समय नन्हीं लड़की आई और दोनों बैलों की रस्सियाँ खोल दीं। किन्तु फिर लड़की के स्नेह में हीरा–मोती नहीं भागे। तब लड़की ने शोर मचा दिया, फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं ओ दादा, भागो। लड़की की आवाज सुनकर हीरा–मोती भाग खड़े हुए। गया तथा गाँव के अन्य लोगों ने पीछा किया। इससे दोनों रास्ता भटक गए। नए–नए गाँव पार करते हुए वे एक खेत के किनारे पहुँचे। खेत में मटर की फसल खड़ी थी। दोनों ने खूब मटर खाई। मस्ती में उछल–कूद करने लगे। तभी अचानक एक साड़ आ गया। दोनों डर गए। समझ में नहीं आ रहा था कि मुकाबला कैसे करें। हीरा की सलाह से दोनों ने मिलकर आक्रमण किया। साड़ जब एक बैल पर आक्रमण करता तो दूसरा बैल साड़ के पेट में सींग गड़ा देता। साड़ दो–दो शत्राओं से लड़ने का आदी नहीं था, अतः बेदम होकर गिर पड़ा। हीरा–मोती को उस पर दया आ गई। उन्होंने उसे छोड़ दिया। जीत की खुशी में मोती फिर मटर के खेत में मटर खाने लगा। तब तक दो आदमी लाठी लेकर आए। उन्हें देखकर हीरा भाग गया किन्तु मोती कीचड़ में फँस जाने के कारण पकड़ा गया। उसे कीचड़ में फँसा देखकर हीरा भी आ गया।

आदमियों ने दोनों को पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिया। कांजीहौस में उन्हें दिन भर कुछ भी खाने को न मिला। वहाँ पहले से ही कई बकरियाँ, भैंसें, घोड़ें तथा गायें थे। सभी मुरदों की तरह पड़े थे। भूख के मारे हीरा–मोती ने दीवार की मिट्टी चाटनी शुरू कर दी। रात में हीरा के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई। उसने सींगों से दीवार पर वार करके कुछ मिट्टी गिरा दी। लालटेन लेकर आए चैकीदार ने उनको कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बाध् दिया। मोती ने उसे चिढ़ाया। हीरा ने उत्तर दिया कि यदि दीवार गिर जाती तो कई जानवर आजाद हो जाते। हीरा की बात सुनकर मोती को भी जोश आ गया। उसने बची हुई दीवार गिरा दी। सारे जानवर भाग गए। गधे नहीं भागे। बोले भागने से क्या फायदा? फिर पकड़े जाएगें। मोती ने उन्हें सींग मारकर भगा दिया। हीरा ने मोती को भाग जाने के लिए कहा किन्तु मोती हीरा को विपत्ति में अकेला छोड़कर नहीं गया। सुबह होते ही कांजीहौस में खलबली मच गई। उन्होंने मोती को बहुत मारा तथा मोटी-मोटी रस्सियों से बाँध दिया।

हीरा–मोती को कांजीहौस में बंद हुए एक सप्ताह हो गया था। उन्हें कुछ खाने के लिए नहीं मिलता था। दिन में एक बार केवल पानी मिलता था। दोनों सूखकर ठठरी हो गए। एक दिन नीलामी हुई। उनका कोई खरीदार न था। अंत में एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। नीलाम होकर दोनों दढ़ियल कसाई के साथ चले। वे अपने भाग्य को कोस रहे थे। कसाई उन्हें भगा रहा था। रास्ते में उन्हें गाय–बैलों का एक झुंड दिखाई दिया। सभी जानवर उछल कूद रहे थे। हीरा–मोती सोचने लगे कि ये कितने स्वार्थी हैं। इन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है। अचानक हीरा–मोती को लगा कि वे रास्ते उनके जाने–पहचाने हैं। उनके कमजोर शरीर में फिर से जान आ गई। उन्होंने भागना शुरू कर दिया। झूरी का घर नजदीक आ गया। वे तेजी से भागे और थान पर खड़े हो गए। झूरी उन्हें देखते ही दौड़ा और उनके गले लग गया। बैल झूरी के हाथ चाटने लगे। दढ़ियल कसाई ने बैलों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा, “ये बैल मेरे हैं,” कसाई बोला, “मैंने इन्हें नीलामी से खरीदा है।” वह बैलों को जबरदस्ती लेकर चल दिया। मोती ने उस पर सींग चलाया तथा उसे भगाकर गाँव से दूर कर दिया। झूरी ने नादों में खली, भूसा, चोकर और दाना भर दिया। दोनों मित्र खाने लगे। गाँव में उत्साह छा गया। मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।

Similar questions