Do dosto ke beech ka samvad pradhanadhyapak k uppar
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दो दोस्तों के बीच प्रधानाचार्य के ऊपर संवाद
(दो दोस्तों रितेश और शिरीष के बीच प्रधानाचार्य को लेकर संवाद)
रितेश — अपने प्रधानाचार्य बहुत सख्त हैं।
शिरीष — हाँ, तुम सही कह रहे हो, मुझे कुछ दिनों की छुट्टी चाहिये थी, मेरे ममेरे भाई की शादी है, मुझे अपने परिवार के साथ गांव जाना था, लेकिन सर ने छुट्टी नही दी।
रितेश — कुछ महीने पहले मुझे भी ऐसी छुट्टी चाहिये थी, लेकिन मुझे सर ने छुट्टी नही दी।
शिरीष — स्कूल के ड्रेस कोड में जरा सी लापरवाही बरतने पर तुरंत सजा दे देते हैं।
रितेश — खैर, वो प्रधानाचार्य हैं, छात्रों में अनुशासन लाने के लिये उनका सख्ती करना उचित है, लेकिन वो जरूरत से अधिक सख्ती कर जाते है। उन्हें छात्रों के प्रति थोड़ा संवेदनशील भी रहना चाहिये।
शिरीष — स्कूल के सारे छात्र उनकी जरूरत से ज्यादा सख्ती से परेशान हैं, यहाँ तक कि कई अध्यापक भी।
रितेश — हाँ, मैंने भी ऐसा ही सुना है।
शिरीष — हम लोग कर भी क्या सकते हैं। विरोध जतायेंगे तो अपना ही नुकसान हो सकता है।
रितेश — हाँ इस डर से कोई छात्र कुछ नही बोलता है, और चुपचाप हर बात सह लेता है।
शिरीष — पर एक उम्मीद की बात ये है कि प्रधानाचार्य सर इसी साल रिटायर होने वाले हैं, शायद अगले प्रधानाचार्य कम सख्त निकलें।
रितेश — उम्मीद करते हैं कि ऐसा ही हो।