Doctor par kahani in Hindi 200-300 words
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बूढ़ी औरत तथा डॉक्टर |
एक बार एक बूढ़ी औरत, जिसकी नजर कमजोर हो चुकी थी, एक नेत्र चिकित्सक के पास गई । नेत्र चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसके नेत्रों का ऑपरेशन कर उसे उसके घर भेज दिया ।
महिला बहुत प्रसन्न थी कि डॉक्टर कितना भला है कि उसने उसके घर आकर मरहम-पट्टी करने का वादा किया है । वह डॉक्टर को धन्यवाद देकर अपने घर वापस आ गई । परंतु उस महिला को डॉक्टर के बारे में सही जानकारी नहीं थी ।

अगले दिन डॉक्टर आया । उसकी आखों की पट्टियां हटाईं । टांकों की जांच की और आखों पर दवा आदि लगाकर नई पट्टियां बांध दीं । जब तक महिला के नेत्रों पर पट्टिया बंधी रहतीं, वह कुछ भी नहीं देख सकती थी । डॉक्टर को चोरी करने की आदत थी ।
वह महिला की बीमारी का नाजायज लाभ उठा रहा था । वह प्रत्येक दिन जब महिला के घर से वापस जाता तो उसके घर में रखी कोई मूल्यवान वस्तु उठा कर ले जाता । अंत में वह दिन भी आया, जब महिला के नेत्रों का इलाज हो गया ।
डॉक्टर ने अपनी फीस मांगी । बूढी महिला ने फीस देने से इकार कर दिया । उसका कहना था कि उसकी नजर पहले से भी अधिक खराब हो चुकी थी । उसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था । डॉक्टर मामले को अदालत में ले गया ।
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न्यायाधीश ने ध्यान से डॉक्टर की बातें सुनीं और फिर बूढ़ी महिला को पूछताछ के लिए बुलाया । बूढ़ी महिला ने कहा : ”आदरणीय श्रीमान ! यह सही है कि इस नेत्र विशेषज्ञ ने मेरे नेत्रों का उपचार किया था । मगर फीस मैं तभी दूंगी, जब मेरे नेत्रों का पूरा इलाज हो जाएगा ।
श्रीमान, इलाज से पहले मैं अपने घर में रखी सभी मूल्यवान वस्तुएं देख सकती थी । यह डॉक्टर इतना भला था कि रोज मेरे घर में आकर मेरी आखों की पट्टियां बदलता था । मैं तो लगभग एक हफ्ते तक आखों पर पट्टियां बांधे रही ।
परंतु जब आखों से पट्टियां हटाई गईं तो मुझे अपने घर में कोई भी सामान दिखाई नहीं दिया ।” न्यायाधीश सब कुछ समझ गया । उसने नेत्र चिकित्सक को लताड़ा और उसको महिला का सभी सामान वापस करने के लिए आदेश दिया ।
निष्कर्ष: किसी की मजबूरी का नाजायज फायदा न उठाएं
एक बार एक बूढ़ी औरत, जिसकी नजर कमजोर हो चुकी थी, एक नेत्र चिकित्सक के पास गई । नेत्र चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसके नेत्रों का ऑपरेशन कर उसे उसके घर भेज दिया ।
महिला बहुत प्रसन्न थी कि डॉक्टर कितना भला है कि उसने उसके घर आकर मरहम-पट्टी करने का वादा किया है । वह डॉक्टर को धन्यवाद देकर अपने घर वापस आ गई । परंतु उस महिला को डॉक्टर के बारे में सही जानकारी नहीं थी ।

अगले दिन डॉक्टर आया । उसकी आखों की पट्टियां हटाईं । टांकों की जांच की और आखों पर दवा आदि लगाकर नई पट्टियां बांध दीं । जब तक महिला के नेत्रों पर पट्टिया बंधी रहतीं, वह कुछ भी नहीं देख सकती थी । डॉक्टर को चोरी करने की आदत थी ।
वह महिला की बीमारी का नाजायज लाभ उठा रहा था । वह प्रत्येक दिन जब महिला के घर से वापस जाता तो उसके घर में रखी कोई मूल्यवान वस्तु उठा कर ले जाता । अंत में वह दिन भी आया, जब महिला के नेत्रों का इलाज हो गया ।
डॉक्टर ने अपनी फीस मांगी । बूढी महिला ने फीस देने से इकार कर दिया । उसका कहना था कि उसकी नजर पहले से भी अधिक खराब हो चुकी थी । उसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था । डॉक्टर मामले को अदालत में ले गया ।
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न्यायाधीश ने ध्यान से डॉक्टर की बातें सुनीं और फिर बूढ़ी महिला को पूछताछ के लिए बुलाया । बूढ़ी महिला ने कहा : ”आदरणीय श्रीमान ! यह सही है कि इस नेत्र विशेषज्ञ ने मेरे नेत्रों का उपचार किया था । मगर फीस मैं तभी दूंगी, जब मेरे नेत्रों का पूरा इलाज हो जाएगा ।
श्रीमान, इलाज से पहले मैं अपने घर में रखी सभी मूल्यवान वस्तुएं देख सकती थी । यह डॉक्टर इतना भला था कि रोज मेरे घर में आकर मेरी आखों की पट्टियां बदलता था । मैं तो लगभग एक हफ्ते तक आखों पर पट्टियां बांधे रही ।
परंतु जब आखों से पट्टियां हटाई गईं तो मुझे अपने घर में कोई भी सामान दिखाई नहीं दिया ।” न्यायाधीश सब कुछ समझ गया । उसने नेत्र चिकित्सक को लताड़ा और उसको महिला का सभी सामान वापस करने के लिए आदेश दिया ।
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