dopahar ka bhojan kahani ki samasiyaon par prakar daliye
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दोपहर का भोजन कहानी का सारांश
अमरकान्त की कहानी 'दोपहर का भोजन' में निम्न मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक तंगी, भुखमरी, बेकारी का मार्मिक चित्रण किया है। परिवार की स्थिति इतनी अधिक गरीब है कि सबके खाने के लिए पूरा भोजन भी नहीं है किन्तु सिद्धेश्वरी किसी प्रकार से सब को भोजन करा ही देती है और स्वयं आधी रोटी खाकर गुजारा करती है।
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