History, asked by harpalnagwanshi, 1 year ago

dr.ambedkar ka history hindi me

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Answered by nickunikkip9bq4c
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Br Ambedkar / डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है।

महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है।

भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी –

“जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिये” BR AMBEDKAR

पूरा नाम  – भीमराव रामजी अम्बेडकर
जन्म       – 14 अप्रेल 1891
जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश)
पिता       – रामजी
माता       – भीमाबाई
शिक्षा      – 1915  में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD। 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स। 1923  में डॉक्टर ऑफ सायन्स।
विवाह     – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में)

भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म ब्रिटिशो द्वारा केन्द्रीय प्रान्त (अब मध्यप्रदेश) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी मऊ में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल जो आर्मी कार्यालय के सूबेदार थे और भीमाबाई की 14 वी व अंतिम संतान थे।

उनका परिवार मराठी था और वे अम्बावाड़े नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से सम्बंधित था। वे हिंदु महार (दलित) जाती से संपर्क रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था।

आंबेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे ओ यहाँ काम करते हुए वो सूबेदार के पद तक पहुचे थे। उन्होने अपने बच्चो को स्कूल में पढने और कड़ी महेनत करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

स्कूली पढाई में सक्षम होने के बावजूद आम्बेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चो को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था और अध्यापको द्वारा न तो ध्यान दिया जाता था, न ही उनकी कोई सहायता की। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने पर कोई उची जाती का व्यक्ति उचाई से पानी उनके हातो पर डालता था, क्यू की उनकी पानी और पानी के पात्र को भी स्पर्श करने की अनुमति नहीं थी।

लोगो के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। बाद में उन्होंने अपनी इस परिस्थिती को “ना चपरासी, ना पानी” से लिखते हुए प्रकाशित किया।

1894 में रामजी सकपाल सेवानिर्वुत्त हो जाने के बाद वे सहपरिवार सातारा चले गये और इसके दो साल बाद, आंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गयी। बच्चो की देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए की। रामजी सकपाल के केवल तिन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियों मंजुला और तुलासा। अपने भाइयो और बहनों में केवल आंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए ओर इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए।

अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, उनके कहने पर अम्बावडेकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गाव के नाम “अम्बावाड़े” पर आधारित था।

भीमराव आंबेडकर को आम तौर पर बाबासाहेब के नाम से जाने जाता हे, जिन्होंने आधुनिक बुद्धिस्ट आन्दोलनों को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध दलितों के साथ अभियान चलाया, स्त्रियों और मजदूरो के हक्को के लिए लड़े। वे स्वतंत्र भारत के पहले विधि शासकीय अधिकारी थे और साथ ही भारत के संविधान निर्माता भी थे।

आंबेडकर एक बहोत होशियार और कुशल विद्यार्थी थे, उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक से बहोत सारी क़ानूनी डिग्री प्राप्त कर रखी थी और अलग-अलग क्षेत्रो में डॉक्टरेट कर रखा था, उनकी कानून, अर्थशास्त्र और राजनितिक शास्त्र पर अनुसन्धान के कारण उन्हें विद्वान की पदवी दी गयी.

उनके प्रारंभिक करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। बाद में उनका जीवन पूरी तरह से राजनितिक कामो से भर गया, वे भारतीय स्वतंत्रता के कई अभियानों में शामिल हुए, साथ ही उस समय उन्होंमे अपने राजनितिक हक्को और दलितों की सामाजिक आज़ादी, और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने कई लेख प्रकाशित भी किये, जो बहोत प्रभावशाली साबित हुए। 1956 में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर के बुद्ध स्वीकारा, और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसकी दीक्षा भी देने लगे।

1990 में, मरणोपरांत आंबेडकर को सम्मान देते हुए, भारत का सबसे बड़ा नागरिकी पुरस्कार, “भारत रत्न” जारी किया। आंबेडकर की महानता के बहोत सारे किस्से और उनके भारतीय समाज के चित्रण को हम इतिहास में जाकर देख सकते है

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