Dukh ka adhikar kahani ka saransh
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यह कहानी यशपाल दर्शाया लिखी गई है। यशपाल एक ऐसे लेखक है जो समाज के यथार्थ को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
अक्सर हम लोगों का आंकलन उसके पहनावे को देखकर करते हैं। जो कि गलत है क्योंकि इंसान का असली पहचान उसके व्यवहार से होता है न कि पहनावे से।
हम अमीर के दुख और सुख से मतलब रखते हैं उनसे सहानुभूति रखते हैं। मगर गरीब से हम सहानुभूति तो दूर हम उसे बिना समझे गलत बोलते हैं।
इस कहानी में एक गरीब दुखियारी का २३ साल का बेटा मर जाता है क्योंकि सांप उसको डस लेता है। वह गरीब शोक से उभर नहीं पाई थी कि घर के बाकी लोग भूख से रो रहे थे। वह बेचारी अपने आंसू छूपाने के लिए अपना चेहरा आंचल से ढकती है और तरबूज बेचती है।
मगर फिर भी लोग उसकी मजबूरी को बिना समझे उसको गलत समझते हैं जबकि समाज में एक और मां अपने बेटे को खोती है उनसे सबको सहानुभूति होती है क्योंकि वह ऊंचे कुल से है।
लेखक कहना चाहता है कि समाज में दुखी होने का हक सबको है। गरीब को भी रोने का और शोक मनाने का हक है।
अक्सर हम लोगों का आंकलन उसके पहनावे को देखकर करते हैं। जो कि गलत है क्योंकि इंसान का असली पहचान उसके व्यवहार से होता है न कि पहनावे से।
हम अमीर के दुख और सुख से मतलब रखते हैं उनसे सहानुभूति रखते हैं। मगर गरीब से हम सहानुभूति तो दूर हम उसे बिना समझे गलत बोलते हैं।
इस कहानी में एक गरीब दुखियारी का २३ साल का बेटा मर जाता है क्योंकि सांप उसको डस लेता है। वह गरीब शोक से उभर नहीं पाई थी कि घर के बाकी लोग भूख से रो रहे थे। वह बेचारी अपने आंसू छूपाने के लिए अपना चेहरा आंचल से ढकती है और तरबूज बेचती है।
मगर फिर भी लोग उसकी मजबूरी को बिना समझे उसको गलत समझते हैं जबकि समाज में एक और मां अपने बेटे को खोती है उनसे सबको सहानुभूति होती है क्योंकि वह ऊंचे कुल से है।
लेखक कहना चाहता है कि समाज में दुखी होने का हक सबको है। गरीब को भी रोने का और शोक मनाने का हक है।
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