Hindi, asked by Benny5218, 1 year ago

Durga Puja par nibandh 300 shabdon mein

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Answered by uttammajumder199716
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Answer:

दुर्गा-पूजा

आद्या शक्ति के रूप में मान्य एवं प्रतिष्ठित दुर्गा देवी बंगाल की अधिष्ठातृ देवी कही एवं मानी जा सकती है । बंगाल का केन्द्रस्थल कलकत्ता वास्तव में आद्या शक्ति के एक रूप कालि माँ का मुख्य आवास-स्थल भी माना जाता है, वहाँ स्थित कालिघाट और कालि-मन्दिर इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं । हमारे विचार में कभी कहा और पुकारा जाने वाला नाम ‘कालि माँ का तल्ला’ ही बिगड़ या भाषा-वैज्ञानिक के अनुसार भाषाई दृष्टि से कठिनता से सरलता की ओर जाने की प्रवृत्ति के फलस्वरूप क्रमश: विकसित होकर ‘कलकत्ता’ नाम से परिवर्तित एवं प्रसिद्ध हो गया है ।

आद्या शक्ति के विभिन्न नाम-रूपों के जो प्रमुख आवास स्थल भारत में स्थित हैं, उनमें से बंगाल और वहाँ भी कलकत्ता एक अत्यन्त प्रमुख और प्रसिद्ध स्थल है । इसी कारण दुर्गा-पूजा का त्योहार यों तो पूर्वी-पश्चिमी बंगाल के प्रत्येक घर, गाँव और नगर मे मनाया जाता है; पर उसका सर्वाधिक दर्शनीय स्वरूप कलकत्ता में ही देखने को मिलता ‘ इस प्रकार स्पष्ट है कि दुर्गा-पूजा प्रमुख रूप से बंगाल और बंगालवासियों का ही त्योहार, बल्कि महान् और पावन पर्व है एवं प्रमुखत: मनाया भी वहीं पर जाता है ।

लेकिन फिर भी जिस प्रान्त के किसी शहर, गाँव-खेड़े या मुहल्ले में कहीं दो-चार बंगाली परिवार भी निवास करते हैं, वहीं पर विजयदशमी यानि आश्विन-कार्तिक मास में दुर्गा-पूजा का उत्सव भी बड़ी धूमधाम एवं अजस्र उत्साह के साथ मनाया जाता है । दिल्ली जैसे बड़े नगरों में तो बंगाली समाज ने कालि बाड़ियों यानि कालि माँ के मन्दिर भी स्थापित कर रखे हैं । वहाँ कालि माँ की प्रतिमा की पूजा-अर्चना उसे आद्या शक्ति देवी दुर्गा का ही एक रूप मानकर नियमित रूप से की जाती है ।

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