Hindi, asked by ayushi8797, 11 months ago

Eassay on प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है

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Answered by bhatiamona
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यह स्‍वामी विवेकानंद  जी के बोल है , प्रेम विस्तार है,  स्वार्थ संकुचन है| स्‍वामी विवेकानंद बहुत सारी बातें सिखाती हैं जिंदगी जीने का | स्‍वामी विवेकानंद कहते है जिंदगी को ख़ुशी से व्यतीत करने का नियम है  प्रेम|  

स्वार्थ जीवन को मरता है , स्वार्थ  होना मतलबी होना और अपनी ख़ुशी के बारे में सोचना यह स्वार्थ है |

कहने को प्रेम छोटा सा शब्द है , परंतु प्रेम विस्तार है, इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है, वह जो प्रेम करता है जीता है|  प्रेम नाम से पता चल रहा है , आपस में प्यार , भावना  | प्रेम से हम सब का दिन जीत सकते है और सब कुछ हासिल कर सकते है |    

प्रेम लोगों को आपस में जोड़ कर रखता है और प्रेम के कारण हम खुश रहते है | सच्चा प्रेम वही है, जिस में  कोई स्वार्थ नहीं होता |प्रेम से प्रेम करो , सब के साथ प्रेम से रहो |

जो मनुष्य प्रेम से रहता है , प्रेम को बांटता है | अर्थात वही मनुष्य जीवन आनन्द से व्यतीत करता है |

स्वार्थ संकुचन है  , जो लोग मतलबी और स्वार्थी होते है , वह लोग हमेशा दूसरों के साथ दिखावे का प्रेम करते है और  मतलब के लिए प्रेम का नाटक करते है | ऐसे लोगों के पीछे हमेशा बदले और स्वार्थ की भावना होती है | स्वार्थ से लोग मरते है , और अपना जीवन दूसरों से जल-जल कर निकालते है | स्वार्थ मानव को गलत रास्ते और सबसे दूर ले जाता है| मन में स्वार्थ की  भावना रखने से हम कुछ हासिल नहीं कर सकते |

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