eassy about mahdavdev in hindi
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देवों के देवमहादेव अनादि और अनंत है। प्रत्येक देवी-देवताओं की जन्म कथाएं प्रचलित है, किंतु महादेव अजन्मे है। अर्थात वो इस सृष्टि की रचना से पहले से है, और जब यह सृष्टि समाप्त हो जाएगी, तब भी केवल महादेव ही होंगे।
भगवान शिव पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Lord Shiva in Hindi)
निबंध - 1 (300 शब्द)
परिचय
“ऊँ नमः शिवाय”
कहते है, पृथ्वी की सम्पूर्ण शक्ति इसी पंचाक्षर मंत्र में ही समाहित है। त्रिदेवों में ब्रह्म देव सृष्टि के रचयिता है, तो श्री हरि पालनहार हैं, भगवान भोलेनाथ संहारक। शिव तो आशुतोष हैं, जल्द ही प्रसन्न हो जाते है।
शिव-शक्ति
शिव के साथ जब तक शक्ति है तभी तक वो शिव कहलाते है, बिना शक्ति के शव के समान हो जाते है। उनका अर्धनारीश्वर रुप इसी बात का प्रतीक है। अपने इस रुप से प्रभु सबको ये सीख देना चाहते है, कि प्रकृति (स्त्री) और पुरुष दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं और साथ मिलकर ही सम्पूर्ण होते है। किसी की भी महत्ता कम नहीं है अपितु समान है।
उनका निवास
महादेव अपने परिवार, पार्वती, श्रीगणेश और कार्तिकेय के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। साथ ही नंदी, शिवगण आदि भी उनके साथ वहां पर निवास करते हैं।
शिव के भक्त शैव
भगवान शिव के कई नाम हैं और वो योग और नृत्य सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं के देवता हैं। हिंदू धर्म में जो लोग उनका अनुसरण करते हैं उन्हें शैव कहा जाता है। एवं उनके सम्प्रदाय को शैव सम्प्रदाय कहते हैं।
शिव के अनंत अनुपम स्वरुप
शिव को दुनिया के विध्वंसक के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनकी कई अन्य भूमिकाएँ भी हैं। हिंदू धर्म के अनुसार शिव के अनंत रुप हैं; जैसे वो निर्माता है तो विध्वंसक भी, आंदोलन हैं तो शांति भी, वो प्रकाश है, तो अंधेरा भी, और आदमी भी वही और औरत भी वही हैं। इन भूमिकाओं में विरोधाभास होता है लेकिन शिव की ये भूमिकाएँ यह दिखाने के लिए हैं कि ये चीजें जितना दिखाई देती हैं, उससे कहीं अधिक एक-दूसरे से जुड़ी हैं।
निष्कर्ष
शिव महा कल्याण कारी है। वो तो केवल एक लोटे जल से ही खुश हो जाते हैं। शिव आदिदेव है। शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते है। वो तो भोले नाथ है, जो भक्त उन्हे डंडे से मारता है, उससे भी खुश हो जाते है। जहां वो एक ओर महायोगी है, वहीं दूसरी तरफ माता पार्वती से प्रेम विवाह भी किया है। जब भी किसी जोड़े को आशीर्वाद दिया जाता है, तो उन्हें शिव-पार्वती की उपमा से ही सुशोभित किया जाता है।
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