eassy on air pollution in hindi
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आबादी बढ़ने से प्रदूषण भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे पानी की वजह से हो या हवा की वजह से, इसने इन्सान के स्वास्थ्य को तबाह कर दिया है। इस प्रदूषण की वजह से किसी को कैन्सर है तो किसी को शुगर या हृदय रोग। जब आबादी बढ़ती है तो यह आवश्यक है कि मानवीय जरूरतें पूरी की जायें।
प्रदूषण की खासतौर पर तीन किस्में होती हैं। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। लेकिन हम यहाँ पर वायु प्रदूषण और मानव जीवन के बारे में बताना चाहेंगे।
वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है।
वायु प्रदूषण के कारण
जहाँ पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं, वहाँ पर आँखों में जलन, छाती में जकड़न और खाँसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से साँस फूलने लगती है। अन्जायना (एक हृदयरोग) या अस्थमा (फेफड़ों का एक रोग), या अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। जैसे-जैसे वायु में प्रदूषण खत्म होने लगता है स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोग बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत तेज और जल्दी हो जाता है और कुछ लोगों पर अधिक देर से होता है। बच्चे, बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं इसलिये उनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है। और वो बीमार पड़ जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों में वरम और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अधिक वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घरों में ही रखना चाहिए, जिससे उनको वायु प्रदूषण से बचाया जा सके।
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वायु प्रदूषण पूरी वायुमंडलीय हवा में बाह्य तत्वों का मिश्रण है। उद्योगों और मोटर वाहनों से उत्सर्जित हानिकारक और बिषैली गैसें मौसम, पेड़-पौधों और मनुष्य सभी को बहुत हानि पहुँचाती हैं। कुछ प्राकृतिक और कुछ मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के कारक हैं। हालांकि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण होता है जैसे: जीवाश्म, कोयला और तेल का जलना, हानिकारक गैसों को छोड़ना और कारखानों और मोटर वाहनों के पदार्थ आदि।
इस तरह के हानिकारक रासायनिक तत्व जैसे कार्बन ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ठोस पदार्थ आदि ताजी हवा में मिश्रित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बड़े स्तर पर बढ़ा है, जिसका कारण पिछली शताब्दी में मोटर वाहनों की बढ़ती हुई आवश्यकता है, जिससे 69% तक वायु प्रदूषण में वृद्धि की है।
वायु प्रदूषण के अन्य स्त्रोतों में लैंडफिल में कचरे का अपघटन और ठोस पदार्थों के निराकरण की प्रक्रिया से मीथेन गैस (जो स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक होता है) का निकलना है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, स्वचलित वाहनों के प्रयोग में वृद्धि, हवाई जहाज आदि ने इस मुद्दे को गंभीर पर्यावरण का मुद्दा बना दिया है।
जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वो पूरी तरह से प्रदूषित है जो हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़-पौधों, पशुओं और मनुष्य के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि पर्यावरण को सुरक्षित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दशकों में 1 मिलियन टन वार्षिक के आधार पर बढ़ सकता है।