Eassy on my mother in hindi
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हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण इंसान हमारी माँ होती है जो एक वास्तविक प्रकृति की तरह हमेशा हमारी परवरिश करती है। वो हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढ़ेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वो हमें अपनी कोख में रखती है जबकि उसके वास्तविक जीवन में वो हमेशा हमारे बारे मे सोचकर खुश हो जाती है। बिना किसी शिकायत के वो हमें जन्म देती है। पूरे जीवन भर हम उसके खरे प्यार और परवरिश की तुलना किसी और से नहीं कर सकते इसलिये हमें हमेशा उसको प्यार और सम्मान देना चाहिये। हर वो इंसान जिसके पास माँ है वो दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति है और उसे भगवान से ढ़ेर सारा आशीर्वाद मिला हुआ है।
एक माँ बेहद सामान्य महिला होती है जो अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वो हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक स्वार्थहीन आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है। आत्मशक्ति से भरी वो एक ऐसी महिला है जो हमें जीवन के सबसे कठिन चुनौती का सामना करना सीखाती है। जीवन की सभी कठिनाईयों से उभारती है. वो हमें हमेशा हमारे जीवन में अच्छे चीजों को पाने के लिये प्रेरित करती है। वो सभी के जीवन की पहली अध्यापक होती है जिसकी शिक्षा पूरे जीवन भर कीमती और लाभप्रद साबित होती है।
एक माँ बेहद सामान्य महिला होती है जो अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वो हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक स्वार्थहीन आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है। आत्मशक्ति से भरी वो एक ऐसी महिला है जो हमें जीवन के सबसे कठिन चुनौती का सामना करना सीखाती है। जीवन की सभी कठिनाईयों से उभारती है. वो हमें हमेशा हमारे जीवन में अच्छे चीजों को पाने के लिये प्रेरित करती है। वो सभी के जीवन की पहली अध्यापक होती है जिसकी शिक्षा पूरे जीवन भर कीमती और लाभप्रद साबित होती है।
kunal63:
hi.. if u get the answer, please mark me as brainliest
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‘माँ’ किसी बालक बालिका का संसार से प्रथम परिचय है। भगवान संसार में स्वयं नहीं आ सकते थे इसलिये उन्होंने माँ को भेजा। सम्पूर्ण संसार जिसमें सिमट जाता है, वो है माँ का आँचल। उम्र के साथ आँचल की पकड़ कमजोर जरूर हो जाती है, पर उसकी छाया में मृत्युपर्यन्त जीवन बिताने की अभिलाषा हर मानव की होती है।
मेरी माँ एक अध्यापिका हैं। वह सरकारी विद्यालय में हिन्दी पढ़ाती हैं। हम सबके उठने से बहुत पहले प्रातः काल उठकर माँ घर का काम करना प्रारम्भ करती हैं। हम सबकी पसंद का नाश्ता बनाना, दोपहर के भोजन की तैयारी और घर का रखरखाव सब कुछ अकेले करती हैं। हम सब थोड़ी बहुत मदद करते हैं। मगर घर की पूरी व्यवस्था उन पर निर्भर है। घर के चौका बर्तन इत्यादि में महरी उनका हाथ बटाँती हैं।
माँ किसी प्रकार सभी की रूचि और जरूरत के अनुसार सभी काम कर पाती है, यह सोचकर आश्चर्य होता है। हमारे स्कूल से मिले गृहकार्य को पूर्ण करने में भी वह हमारी मदद करती हैं। माँ हमें दुनिया भर की अच्छी अच्छी और ज्ञानवर्द्धक बातें सरल से सरल तरीके से एक पल में समझा देती हैं। उन्हें हमारी समझ का सही अंदाजा रहता है।
घर में जब कोई बीमार पड़ जाता है तो माँ उसकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती। मेरी माँ एक अध्यापिका होने के कारण हर क्षेत्र में सदैव हमारा सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन करती हैं। मैं और मेरी छोटी बहन हर समय माँ के सामीप्य की प्रतीक्षा करते हैं। हमें माँ का साथ बेहद पसंद है। माँ डाँट भी दे तो भी उनके लिये मन में गुस्सा नहीं आता, क्योंकि माँ के गुस्से में भी प्यार छिपा रहता है। माँ की उंगली पकड़कर ही हमने चलना सीखा और उसके ज्ञानवर्धक किस्सों में ही विश्व दर्शन होता है।
मेरी माँ एक अध्यापिका हैं। वह सरकारी विद्यालय में हिन्दी पढ़ाती हैं। हम सबके उठने से बहुत पहले प्रातः काल उठकर माँ घर का काम करना प्रारम्भ करती हैं। हम सबकी पसंद का नाश्ता बनाना, दोपहर के भोजन की तैयारी और घर का रखरखाव सब कुछ अकेले करती हैं। हम सब थोड़ी बहुत मदद करते हैं। मगर घर की पूरी व्यवस्था उन पर निर्भर है। घर के चौका बर्तन इत्यादि में महरी उनका हाथ बटाँती हैं।
माँ किसी प्रकार सभी की रूचि और जरूरत के अनुसार सभी काम कर पाती है, यह सोचकर आश्चर्य होता है। हमारे स्कूल से मिले गृहकार्य को पूर्ण करने में भी वह हमारी मदद करती हैं। माँ हमें दुनिया भर की अच्छी अच्छी और ज्ञानवर्द्धक बातें सरल से सरल तरीके से एक पल में समझा देती हैं। उन्हें हमारी समझ का सही अंदाजा रहता है।
घर में जब कोई बीमार पड़ जाता है तो माँ उसकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती। मेरी माँ एक अध्यापिका होने के कारण हर क्षेत्र में सदैव हमारा सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन करती हैं। मैं और मेरी छोटी बहन हर समय माँ के सामीप्य की प्रतीक्षा करते हैं। हमें माँ का साथ बेहद पसंद है। माँ डाँट भी दे तो भी उनके लिये मन में गुस्सा नहीं आता, क्योंकि माँ के गुस्से में भी प्यार छिपा रहता है। माँ की उंगली पकड़कर ही हमने चलना सीखा और उसके ज्ञानवर्धक किस्सों में ही विश्व दर्शन होता है।
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