eassy on pollution in hindi
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प्रदुषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योकि यह हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए स्वास्थ्य का खतरा है। हाल के वर्षों में प्रदूषण की दर बहोत तेजी से बढ़ रही है क्योकि औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ सीधे मिट्टी, हवा और पानी में मिश्रित हो रहीं हैं। हालांकि हमारे देश में इसे नियंत्रित करने के लिए पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी बहोत ज्यादा भुगतेगी।
प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।
;-)
प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।
;-)
saby29:
thank you so much
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नमस्कार मिऋ!!
आपका उत्तर नीचे है
प्रदूषण..
प्रकृति ने मानव उसकी सुरक्षा या सुख क लिए अक्षय उपहार दिए है । हवा, पानी, खाद्य सामग्री आदि जीवन के लिए दिया है । पेड़ पौधे दवारा पृथ्वी को हरा भरा बनाकर प्राणी जगत को जीवन प्रदान किया है । आज मानव ने पेड़ पौधे काट दिए है हवा प्रदूषित हो गई है पानी प्रदूषित हो गया है । इनके कारण आज सारा विश्व में प्रदूषण की समस्या पैदा हो गई है ।
वायु प्रदूषण - प्रकृति की दी हुई हवा वह आज नाना प्रकार से वैज्ञानिक साधनों दवारा प्रदूषित हो गई है । कल कारखानों की जहरीली गैस से वायु गंदा हो रहा है । बड़े शहरों में शाम को ईधर उधर इतना धुआं छाया रहता है श्वास लेना भी कठिन हो जाता है । वायु को दूषित करना ही वायु प्रदूषण है ।
जल प्रदूषण - पानी का गंदा होना या दूषित होना जल प्रदूषण कहलाता है । आजकल शहरों का गंदा जल नालो दवारा नदियों में चला जाता है। नदियों का सारा जल पीने योग्य नहीं रहता । वहीं जल नालो दवारा हमारे घर में पहुंचता है । दूषित जल पीने से हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है ।
धवनी प्रदूषण - हमारे कान एक निश्चित सीमित धवनी सुनने के आदि है । अगर अत्यंत तीव्र आवाज हमारे कान में पड़ती है तो कान के परदे का भय रहता है । आजकल कल कारखानों, यातायात के साधनो, माइक आदि से धवनी प्रदूषित हो रहा है ।
और कई प्रदूषण है :- आंखो मे चकाचौंध रोशनी से चक्षु प्रदूषण खाद्य पदार्थ में मिलावट से खाद्य प्रदूषण ।
समाधान आज यदि इन सभी प्रदूषणो से हम अपने आप को नहीं बचा सके तो मानव का विनाश निश्चित है । हमे अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ को काटने व जलाने नहीं चाहिए । गंदे नालो को नदियों में नहीं डालना चाहिए । खाद्य पदार्थ में मिलावट न डालने के लिए कानून बनाना चाहिए ।
आशा है कि आपको मदद मिलेगी..!!
और माफ करिएगा हम ज्यादा नहीं लिख पाए हमसे जितना हुआ हमने उतना लिखा..
(^^)
आपका उत्तर नीचे है
प्रदूषण..
प्रकृति ने मानव उसकी सुरक्षा या सुख क लिए अक्षय उपहार दिए है । हवा, पानी, खाद्य सामग्री आदि जीवन के लिए दिया है । पेड़ पौधे दवारा पृथ्वी को हरा भरा बनाकर प्राणी जगत को जीवन प्रदान किया है । आज मानव ने पेड़ पौधे काट दिए है हवा प्रदूषित हो गई है पानी प्रदूषित हो गया है । इनके कारण आज सारा विश्व में प्रदूषण की समस्या पैदा हो गई है ।
वायु प्रदूषण - प्रकृति की दी हुई हवा वह आज नाना प्रकार से वैज्ञानिक साधनों दवारा प्रदूषित हो गई है । कल कारखानों की जहरीली गैस से वायु गंदा हो रहा है । बड़े शहरों में शाम को ईधर उधर इतना धुआं छाया रहता है श्वास लेना भी कठिन हो जाता है । वायु को दूषित करना ही वायु प्रदूषण है ।
जल प्रदूषण - पानी का गंदा होना या दूषित होना जल प्रदूषण कहलाता है । आजकल शहरों का गंदा जल नालो दवारा नदियों में चला जाता है। नदियों का सारा जल पीने योग्य नहीं रहता । वहीं जल नालो दवारा हमारे घर में पहुंचता है । दूषित जल पीने से हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है ।
धवनी प्रदूषण - हमारे कान एक निश्चित सीमित धवनी सुनने के आदि है । अगर अत्यंत तीव्र आवाज हमारे कान में पड़ती है तो कान के परदे का भय रहता है । आजकल कल कारखानों, यातायात के साधनो, माइक आदि से धवनी प्रदूषित हो रहा है ।
और कई प्रदूषण है :- आंखो मे चकाचौंध रोशनी से चक्षु प्रदूषण खाद्य पदार्थ में मिलावट से खाद्य प्रदूषण ।
समाधान आज यदि इन सभी प्रदूषणो से हम अपने आप को नहीं बचा सके तो मानव का विनाश निश्चित है । हमे अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ को काटने व जलाने नहीं चाहिए । गंदे नालो को नदियों में नहीं डालना चाहिए । खाद्य पदार्थ में मिलावट न डालने के लिए कानून बनाना चाहिए ।
आशा है कि आपको मदद मिलेगी..!!
और माफ करिएगा हम ज्यादा नहीं लिख पाए हमसे जितना हुआ हमने उतना लिखा..
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