Easy and best essay on vigyapan ka prabhav
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Yo!!
Here's your answer,pal!
"Vigyapan Ka Prabhav"
विज्ञापन का उद्देश्य है कि किसी वस्तु या वस्तुओं को व्यावसायिक, राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, कलात्मक, मांगलिक, साहित्यिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से लोकप्रिय बनाने की प्रक्रिया को त्वरित गति प्रदान की जाए अर्थात् इन सबसे संबद्ध वस्तुओं को जनमानस में एक विशिष्ट छवि के रूप में अंकित किया जाए। विज्ञापन यह ज्ञापित करता है कि अमुक वस्तु क्यों ग्रहणीय है और ऐसा कर वह वस्तु-विशेष के संबंध में लोगों में उत्सुकता पैदा करता है, आकर्षण पैदा करता है और अंततोगत्वा उसे पाने की लालसा उत्पन्न करता है। अतः विज्ञापन जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है। जीवन-मरण के प्रसंग में, राष्ट्रीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रसंग में, फिल्म जगत में, परिवार के मांगलिक कार्यक्रमों के शुभ अवसरों में, साहित्यिक कृतियों को लोकप्रिय बनाने के संदर्भ में, कलात्मक तथा सौंदर्यबोधात्मक परिदृश्यों के प्रस्तुतीकरण के लिए, विवाह के लिए उपयुक्त वर-कन्या की तलाश के प्रसंग में और न जाने कितने अन्य प्रसंगों में विज्ञापन की अर्थवत्ता है, आवश्यकता है। विज्ञापन आज की सामयिक आवश्यकता है। आधुनिक जीवन प्रणाली का यह अविभाज्य अंग है। इसके अस्तित्व को नकारना संभव नहीं है, बल्कि इसके सहारे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाना है।
Hope that this helps you!
(Lol,for the first time,I'm answering a Hindi question,xD)
~TheGuardianAngel.
Here's your answer,pal!
"Vigyapan Ka Prabhav"
विज्ञापन का उद्देश्य है कि किसी वस्तु या वस्तुओं को व्यावसायिक, राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, कलात्मक, मांगलिक, साहित्यिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से लोकप्रिय बनाने की प्रक्रिया को त्वरित गति प्रदान की जाए अर्थात् इन सबसे संबद्ध वस्तुओं को जनमानस में एक विशिष्ट छवि के रूप में अंकित किया जाए। विज्ञापन यह ज्ञापित करता है कि अमुक वस्तु क्यों ग्रहणीय है और ऐसा कर वह वस्तु-विशेष के संबंध में लोगों में उत्सुकता पैदा करता है, आकर्षण पैदा करता है और अंततोगत्वा उसे पाने की लालसा उत्पन्न करता है। अतः विज्ञापन जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है। जीवन-मरण के प्रसंग में, राष्ट्रीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रसंग में, फिल्म जगत में, परिवार के मांगलिक कार्यक्रमों के शुभ अवसरों में, साहित्यिक कृतियों को लोकप्रिय बनाने के संदर्भ में, कलात्मक तथा सौंदर्यबोधात्मक परिदृश्यों के प्रस्तुतीकरण के लिए, विवाह के लिए उपयुक्त वर-कन्या की तलाश के प्रसंग में और न जाने कितने अन्य प्रसंगों में विज्ञापन की अर्थवत्ता है, आवश्यकता है। विज्ञापन आज की सामयिक आवश्यकता है। आधुनिक जीवन प्रणाली का यह अविभाज्य अंग है। इसके अस्तित्व को नकारना संभव नहीं है, बल्कि इसके सहारे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाना है।
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~TheGuardianAngel.
Leukonov:
Thanks.(^_^)
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