Economy, asked by SAIniky4090, 1 year ago

Economic life of the indus valley civilization in hindi

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Answered by ninth
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इस सभ्यता की आर्थिक प्रगति के सूचक मृदभांड हैं। लाल चिकनी मिट्टी पर पुष्पाकार ज्यामितीय और प्राकृतिक डिजाइन बनाये जाते थे। हड़प्पा के मृदभांडों पर वृत्त या वृक्ष की आकृति भी मिलती है। सैन्धव नगरों के भग्नावशेषों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि अधिकांश लोगों का जीवन सामान्य रूप से समृद्ध था। कृषि एवं पशुपालन सैन्धव अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण अंग थे। हड़प्पा आदि स्थलों से प्राप्त बड़े धान्यागारों से यह सहज ही अनुमान किया जा सकता है कि अतिरिक्त अन्न का संग्रह राज्य द्वारा किया जाता रहा होगा। सामान्यत: नगरों में पूरे देश के संसाधन एकत्र हो जाते थे। अतिरिक्त उत्पादन का नियन्त्रण सम्भवत: हड़प्पा समाज में भी शहर के प्रभावशाली लोगों के हाथ में रहा होगा। संसाधनों के एकत्रीकरण की व्यवस्था, सैन्धव नगरों के विकास का एक कारण थी। हड़प्पा सभ्यता के व्यापक विस्तार का कारण, आपसी आर्थिक अन्तर्निर्भरता और व्यापारतन्त्र भी रहा। मूल संसाधनों का अलग-अलग स्थानों पर उपलब्ध होना सिन्धु नदी घाटी के विविध क्षेत्रों को जोड़ने का कारण बना। इनमें कृषि एवं खनिज संसाधन तथा लकड़ी आदि सम्मिलित थे और ये व्यापारिक मागों की स्थापना करके ही प्राप्त किये जा सकते थे। कहा जा सकता है कि सैन्धव नगर आर्थिक गतिविधियों के महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे। सैन्धव सभ्यता एक विकसित नगरीय सभ्यता थी। हड़प्पा, मोहनजोदडो, कालीबंगा एवं लोथल के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों के आधार पर विद्वानों ने समाज के विविध व्यावसायिक वर्गों के होने का अनुमान किया है। बढ़ई का अस्तित्व लकड़ी काटने हेतु अवश्य रहा होगा। ईंटों के निर्माण द्वारा कुम्हार जीविकापार्जन करते थे। सैन्धव नगरों के अनुपम नियोजन वास्तु विशेषज्ञ एवं मकानों के निर्माता राजगीरों की कल्पना सहज ही की जा सकती है। सोना, चांदी, तांबा, पीतल आादि धातुओं के आभूषणों, गुड़ियों, मुद्राओं, बर्तनों को देखने से प्रतीत हाता है कि सैन्धव स्वर्णकार अपने कार्य में पर्याप्त निपुण थे। वे धातुओं को गलाना जानते थे। तांबे की गली हुई ढेरी मोहनजोदड़ो में मिली है। चाहुँदड़ो में मैके को इक्के के खिलौने प्राप्त हुए हैं। हड़प्पा में भी पीतल का एक इक्का पाया गया है। मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा में गाड़ी के पहिये भी उपलब्ध हुए हैं। ये लोग धातुओं के अतिरिक्त शंख, सीप, घोंघा, हाथी दांत आदि के कार्य में निपुण थे। मोहनजोदडो से हाथी दांत का एक पात्र भी मिला है। अनाज को पीसने के लिए चक्कियों और ओखलियों का प्रयोग किया जाता होगा। बैलगाड़ियों का प्रयोग अनाज ढोने के लिए किया जाता था। बैलगाड़ी की आकृति के खिलौने चाहुँदड़ो, हड़प्पा आदि स्थानों से मिले हैं। इस सभ्यता के विविध केन्द्रों से प्राप्त वस्तुओं की एकरूपता तथा किसी एक क्षेत्र विशेष में उपलब्ध सामग्री की अन्य क्षेत्रों में प्राप्ति सुसंगठित अर्थव्यवस्था का प्रतीक है जिसके अन्तर्गत उत्पादित वस्तुओं के सामान्य वितरण में पर्याप्त सुविधा थी।
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