एएसआईसीएस दोनों इंडस्ट्रियल प्लॉट
Answers
Answered by
0
Answer:
तुम मुझ पर या हम सभी पर हँस रहे हो, उन पर जो अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं। तुम कह रहे हो-मैंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अँगुली बाहर निकल आई, पर पाँव बच रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अँगुली को ढाँकने की चिंता में तलुवे का नाश कर रहे हो। तुम चलोगे कैसे?
लेखक के अनुसार प्रेमचंद किन पर हँस रहे हैं?
प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को क्या व्यंग्य नज़र आता है?
प्रेमचंद को किनके चलने की चिंता सता रही है?
Answered by
1
Answer:
Hi, Bhaiya ( आज हमारे जन्मदिनपर एक चाइ तो पिलीजिए)
☕
please, mark me in brainlist plz
Similar questions