effect of pollution on humans essay in Hindi
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मानव जो इस सृष्टि की सबसे अद्भुत रचना और बुद्धिजीवी प्राणी है जो बहुत अच्छी तरह से जानता है कि इस धरती पर समस्त जीवन इस प्रकृति की ही देन है, अगर वह इसके नियमों के साथ छेड़छाड़ करता है या कोई बाधा उत्पन्न करता है तो उसका खामियाजा उसको यक़ीनन ही भुगतना पड़ेगा.
इस धरती पर रहने वाले मनुष्य को अपनी हर एक सांस के साथ प्रकृति के पर्यावरण का एहसास होना चाहिए और उसको शुक्रिया करना चाहिए इस दुर्लभ वातावरण का जिसको हमारे जीवन लिए तैयार किया गया है.
इस धरती के करोड़ों वर्षों के जीवन के इतिहास और इसकी उत्पत्ति के बारे में कोई भी अभी तक सही तरीके से अंदाज़ा नही लगा पाया है…..तो क्या हमें लगता है कि अगर इस धरती से इंसान ख़त्म हो गये तो ये धरती रहेगी….??
जी हाँ….!! बिल्कुल रहेगी, क्योंकि इस धरती पर रहकर हम इस पर कोई एहसान नही कर रहे, ये आपके बिना भी ऐसे ही चलती रहेगी जैसे अब चल रही है.
इस प्रकृति के साथ मजाक करना मानव जाति के लिए ही नही बल्कि समस्त सजीव प्रजाति के लिए ही खतरनाक है…और हम इंसानों को कोई हक़ नही बनता कि अपने निजी स्वार्थ के लिए दूसरों की जिन्दगी दांव पर लगाएं.
तो चलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए शुरू करते हैं
Explanation:
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Answer:आबादी बढ़ने से प्रदूषण भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे पानी की वजह से हो या हवा की वजह से, इसने इन्सान के स्वास्थ्य को तबाह कर दिया है। इस प्रदूषण की वजह से किसी को कैन्सर है तो किसी को शुगर या हृदय रोग। जब आबादी बढ़ती है तो यह आवश्यक है कि मानवीय जरूरतें पूरी की जायें।
प्रदूषण की खासतौर पर तीन किस्में होती हैं। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। लेकिन हम यहाँ पर वायु प्रदूषण और मानव जीवन के बारे में बताना चाहेंगे।
वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है।
जहाँ पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं, वहाँ पर आँखों में जलन, छाती में जकड़न और खाँसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से साँस फूलने लगती है। अन्जायना (एक हृदयरोग) या अस्थमा (फेफड़ों का एक रोग), या अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। जैसे-जैसे वायु में प्रदूषण खत्म होने लगता है स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोग बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत तेज और जल्दी हो जाता है और कुछ लोगों पर अधिक देर से होता है। बच्चे, बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं इसलिये उनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है। और वो बीमार पड़ जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों में वरम और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अधिक वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घरों में ही रखना चाहिए, जिससे उनको वायु प्रदूषण से बचाया जा सके।