ek company Ka parshad sima niyam teyar kijiye
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पार्षद सीमानियम कम्पनी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रलेख है। इसे कम्पनी का संविधान कहते है। इसमें कम्पनी के अधिकारो, उद्देश्यों, कार्यक्षेत्र का वर्णन किया जाता है। कंपनी को केवल वही कार्य करना चाहिए जो पार्षद सीमानियम में लिखे गये है, पार्षद सीमानियम के विपरीत किये जाने वाले कार्य अवैधानिक माने जाते है। इसे कम्पनी का चार्टर, स्मृति पत्र, स्मृति ज्ञापन, स्मारक पत्र ज्ञापन पत्र आदि भी कहा जाता है।
पार्षद सीमा नियम की परिभाषा
भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा (28) के अनुसार- ‘‘पार्षद सीमानियम से आशय कम्पनी के उस पार्षद सीमानियम से होता है जो प्रारंभ में बनाया गया था या जिसे पूर्व के नियमों या इस अधिनियम के अनुसार समय-समय पर परिवर्तित किया गया हो। ‘‘
लार्ड क्रेन्स के शब्दों में- ‘‘पार्षद सीमानियम किसी कम्पनी का चार्टर होता है और यह अधिनियम के अंतर्गत स्थापित कम्पनी के अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करता है।’’
न्यायाधीश चाल्र्सवर्थ के शब्दो में- ‘‘पार्षद सीमानियम कम्पनी का चार्टर है जो उसके अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करता है ।
उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात निष्कर्ष के रूप में पार्षद सीमानियम की परिभाषा निम्न शब्दों में प्रस्तुत की जा सकती है- ‘‘पार्षद सीमानियम कम्पनी का एक आधारभूत प्रलेख है जो इसके उद्देश्यों को परिभाषित करता है और इसके कार्यक्षेत्र एवं अधिकारों की सीमाओं को निर्धारित करता है।’’
पार्षद सीमा नियम की विशेषताएं
पार्षद सीमानियम की परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात इसकी लक्षण प्रकट होता है-
पार्षद सीमानियम कम्पनी का आधारभूत एवं सबसे महत्वपूर्ण प्रलेख होता है इसे कम्पनी का अधिकार पत्र (चार्टर) भी कहा जाता है।
पार्षद सीमानियम कम्पनी का एक अनिवार्य प्रलेख है, जिसे प्रत्यके प्रकार की कम्पनी को अनिवार्य रूप से तैयार कर रजिस्ट्रार के पास फाइल करना पड़ता है।
पार्षद सीमानियम कम्पनी का नाम, प्रधान कार्यालय, उदृदेश्य, सदस्यों के दायित्व तथा अंशपंजू ी का उल्लेख होता है।.
पार्षद सीमानियम कंपनी के अधिकारो की सीमाओं को निर्धारित करता है। पार्षद सीमानियम के अधिकार क्षेत्र के बाहर किये गये कार्य व्यर्थ होते है।
पार्षद सीमानियम कंपनी का एक अपरिपवर्तनशील प्रलेख है जिसे केवल सीमित अवस्थाओं में ही परिवर्तित किया जा सकता है।
यह एक सार्वजनिक प्रलेख है, अत: बाहरी व्यक्ति से यह आशा की जाती है कि उसने कम्पनी से व्यवहार करने से पूर्व पार्षद सीमानियम का अध्ययन कर लिया होगा। यदि इसका उल्लंघन होता है जो उक्त अनुबंध को प्रवर्तनीय नहीं कराया जा सकता।
पार्षद सीमानियम बाहरी व्यक्तियों तथा कम्पनी के मध्य संबंधो एवं कार्यो का नियमन व नियंत्रण करता है।
Explanation:
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