Ek Daku Ki Atmakatha nibandh hindi
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एक डाकू की आत्म कथा
डाकू अपना जीवन दूसरों से छीना -झपटी करके लुट मार करके जो सम्पति होती है उसी से अपना जीवन जीता है| एक डाकू का काम ही होता है लोगों क्षके चीज़ों को छिनना। दूसरों के चीज़ को अपना बनाना ही एक डाकू का परम कर्तव्य होता है। डाकू चोर की तरह पीछे से नहीं बल्कि सामने से वार करते हैं। डाकू में एक सरदार होता है जो मुख्य होता है जिसके कहने पर ही सामान लूटा जाता है। डाकू अपने बुरे कारनामों के लिए ही जाना जाता है |
एक डाकू की आत्मकथा
Explanation:
मेरा नाम रघुवीर है। मैं एक समय में अपनी कक्षा का बहुत अच्छा छात्र था लेकिन एक हादसे ने मुझे डाकू बना दिया। यह कुछ उस समय की बात है जब मेरी मां की जान दांव पर लगी थी और मैं छोटा होने के कारण सबसे अपनी मां की जान की भीख मांग रहा था। उस समय किसी ने मेरी सहायता नहीं की और मेरी मां ने अपने प्राण गंवा दिए।
उस दिन मुझे एहसास हुआ कि भलाई और अच्छाई का इस दुनिया में कोई फायदा नहीं है। और यही वह समय था जब मैंने अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ एक बुरा आदमी बनने की ठान ली। उसी समय से मैं छोटी-मोटी चोरियां करने लगा लेकिन उम्र के साथ साथ में एक बड़ा डाकू बन गया।
आज मैं अपने जीवन के एक ऐसे मोड़ पर खड़ा हूं जहां ना मेरा कोई अपना है और ना कोई दोस्त मेरे साथ है। आज मुझे यह एहसास हो रहा है कि यदि मैं उस दिन अपनी मां के खो जाने पर भी अपनी पढ़ाई जारी रखता और मेहनत करके अपनी जिंदगी सफल बनाता तो मेरा जीवन सफल होता । मुझे अपनी जिंदगी और अपने उस लिए फैसले पर आज बहुत पछतावा है। इसलिए अब मैं अपने प्राण त्याग रहा हूँ।
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