Ek foji ( soldier ) ka sakshatkar ( interview ) likhiye.. pls in hindi ... And plz answer as fast as you can.
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मुकुट बिहारी ने तीन वर्ष ग्यारह माह चौदह दिन भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की। इस योद्धा की ट्रेनिंग फिरोजपुर में हुई। नौकरी पाने के समय वह बत्तीस वर्ष की अवस्था के थे। इन्होने भर्ती होने के बाद एयर सप्लाई की ट्रेनिंग ली और फिर चकलाला (अब रावलपिंडी पाकिस्तान), चटगाँव, आठहजारी, दो हजारी, आसाम, इम्फाल आदि स्थानों पर भेजेगए। द्वतीय विश्वयुद्ध के दौरान भर्ती हुए मुकुट बिहारी त्रिवेदी ने लगातार दो वर्ष तक युद्ध किया। उनके अनुसार जापान के सैनिकों ने वर्मा के बाहर इक्याब और कलकत्ता में भीषण तबाही मचाकर रखी थी। कलकत्ता के लोग भीषण तबाही के कारण कलकत्ता से भागने लगे थे और भागना उनकी मजबूरी थी। भारतीय सैनिकों ने जैसे ही यहाँ मोर्चा संभाला नतीजन जापानियों ने यहाँ आक्रमण करना कम कर दिया। एक जापानी पकड़ा भी गया। कलकत्ता में युद्ध प्रभावित लोगों को एक मुट्ठी चना और गुण वितरित किया जाता था। कलकत्ता में जापानियों को सबक सिखाने के लिए राजपूत और गोरखा रेजीमेंट मैदान में डट गयी थी, और अंग्रेजों ने अपनी तोप खाना को इनके साथ लगा रखा था। सैनिकों की आवश्यक वस्तुएँ हवाई जहाजों से पहुँचानी पड़ती थी। धुएँ आदि को सिग्नल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
हवाईजहाज द्वारा सिग्नल के स्थान पर सैनिकों की आवश्यक वस्तुओं को ड्रॉप कर दिया जाता था। एक दिन जापानियों ने सिग्नल दिखाकर कई हवाई जहाजों से ड्रॉप वस्तुओं को हथिया लिया। बाद को अंग्रेजी सेना को यह पता चला कि उनके जहाजों से ड्रॉप सामान दुश्मनों के हाथ लग गया। मुकुट बिहारी हमें ऐसी कई अनछुई घटनाओं से रूबरू कराते जा रहे थे और मैं तात्कालिक स्थितियों का अनुमान लगाने के सार्थक प्रयास में था। उनकी बताई एक और घटना कुछ ऐसी थी जिसे सुनकर मुझे बहुत अधिक रोमांच हउठा था। घटना तब की है जब वह वर्मा में थे। यहाँ एक संदिग्ध व्यक्ति को देखकर कैप्टन टिल्सन ने अपनी सेना को आगाह किया। लोगों से पूंछ तांछ की गई तो उन्होंने उसे अपना गुरु बता डाला। संदिग्ध व्यक्ति स्थानीय भाषा को अच्छी तरह से बोल सकता था। रात को उसने भारतीय सेना पर बमबारी करवा दी और स्थानीय लोगों को अपनी भूल का अहसास आखिरकार हुआ। पड़ोस में ही लगे भारतीय तोपखाने को सेना के अफसरों ने फटकार लगाई तो तोपखाने ने दुश्मन के दो विमान मार गिराने का दावा कर डाला। कुछ दूरी पर इन ध्वस्त विमानों का मलवा प्राप्त हो जाने पर तोपखाने की अधिकारियों ने बहुत प्रशंसा की। तोपखाने से सच में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब मिला था।
जापानी सैनिक गैस का प्रयोग भी युद्ध में करते थे जो कि अंधा बना देती थी। गैस से बचाने के लिए आँखों पर विशेष सुरक्षा वाली वस्तु(आई सीन और आई पेट) बांधने को दी जाती थी। एक बार तो युद्ध के दौरान इनकी पूरी बटालियन में सिर्फ तीन लोगों को छोड़कर बाकी सब शहीद हो गए। ठीक उन्ही दिनों एक चिठ्ठी जिसका कोना धोखे से कट गया होगा और मुश्किल से भी पढ़ने में नहीं आ रही थी इनके घर पहुंच गयी। लोग इन्हें शहीद समझ बैठे। पूरे गाँव में हाहाकार मचना लाजमी था। इनकी पत्नी पर क्या गुजरी होगी समझा जा सकता है। इनकी पत्नी चम्पा कली ने श्रंगार उतारने से माना कर दिया और दुखी होकर एक वर्ष तक घर में लगे तुलसी के पौधे की कठोरता से पूजा करने लगी। वह जीने भर को खाती और फिर पूजा में लीन हो जाती एक साल बाद उनको बाहर से किसी ने पुकारा जब जाकर देखा तो कई ग्रामीणों के साथ आखिरकार उनका पति दुश्मनों के दाँत खट्टे करके वापस आ गया था। यह एक बड़ी घटना थी। जब इस योद्धा को घटना का पता चला तो वह अपनी पत्नी के विश्वास को देखकर खुद के आँसू रोक न पाये। वैसे तब युद्ध समाप्त हो चुका था एक सैनिक का भी और एक सती स्त्री का भी। चम्पा कली और मुकुट बिहारी ने एक दूसरे का साथ बहुत दिनों तक निभाया। चम्पा कली ने 2006 में 95 वर्ष की अवस्था में इहलोक त्याग कर दिया जबकि मुकुट बिहारी ने 2014 में।
मुकुट बिहारी त्रिवेदी ने बताया कि जब खाने का समय हो जाता था या सोने पर दुश्मन तब अधिक सक्रिय होता था। एक दिन यह और इनके दो साथी बहुत देर से गाड़ियों और मशीनों को बनाते रहे। दोपहर का समय हो चुका था। भोजन को सैनिक तैयार थे। ये और इनके दो साथी गंदे होने के कारण पड़ोस में बने तालाब में नहाने चले गए जैसे ही डुबकी लगाकर ऊपर आए इन्हें दुश्मन हवाई जहाज बम बॉडी करते दिखा इन्होंने दोनों साथियों से पानी के अंदर हो जाने का इसारा किया और विमान की ओर चीख कर ललकारते हुए, भाग कर बटालियन की ओर गए। चारों ओर शहीद सैनिक थे कोई जीवित न था। पीछे से अन्य दोनों साथी भी आ गए। विमान में कापुरुष थे जो ऐसा किया एक साथी खीझ कर चिल्लाया। साथियों को शहीद हुआ देख कर यह तीनों चिल्लाते चीखते ही रह गए। विमान बम बॉडी करके चक्कर लगाता चला गया। त्रिवेदी के अनुसार वह दृष्य उनके जीवन का सबसे अधिक दुखद दृष्य रहा। इन तीनों सिपाहियों के कपड़े तक जल चुके थे। ये तीनों सिपाही अगली रेजीमेंट तक पैदल चल दिये रास्ते में एक मिलिट्री ट्रक मिली । इन सिपाहियों ने उसे रोकने का इशारा दिया और सहायता मागी। सैन्य वाहन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। चालक ने जब वाहन नहीं रोका तो ये लोग भाग कर कट रास्ते से उस वाहन के आगे पहुच कर बीचों बीच सड़क पर लेट गए। तब उसने वाहन रोका तो इन तीनों ने स्थिति के बारे में बताया।
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हवाईजहाज द्वारा सिग्नल के स्थान पर सैनिकों की आवश्यक वस्तुओं को ड्रॉप कर दिया जाता था। एक दिन जापानियों ने सिग्नल दिखाकर कई हवाई जहाजों से ड्रॉप वस्तुओं को हथिया लिया। बाद को अंग्रेजी सेना को यह पता चला कि उनके जहाजों से ड्रॉप सामान दुश्मनों के हाथ लग गया। मुकुट बिहारी हमें ऐसी कई अनछुई घटनाओं से रूबरू कराते जा रहे थे और मैं तात्कालिक स्थितियों का अनुमान लगाने के सार्थक प्रयास में था। उनकी बताई एक और घटना कुछ ऐसी थी जिसे सुनकर मुझे बहुत अधिक रोमांच हउठा था। घटना तब की है जब वह वर्मा में थे। यहाँ एक संदिग्ध व्यक्ति को देखकर कैप्टन टिल्सन ने अपनी सेना को आगाह किया। लोगों से पूंछ तांछ की गई तो उन्होंने उसे अपना गुरु बता डाला। संदिग्ध व्यक्ति स्थानीय भाषा को अच्छी तरह से बोल सकता था। रात को उसने भारतीय सेना पर बमबारी करवा दी और स्थानीय लोगों को अपनी भूल का अहसास आखिरकार हुआ। पड़ोस में ही लगे भारतीय तोपखाने को सेना के अफसरों ने फटकार लगाई तो तोपखाने ने दुश्मन के दो विमान मार गिराने का दावा कर डाला। कुछ दूरी पर इन ध्वस्त विमानों का मलवा प्राप्त हो जाने पर तोपखाने की अधिकारियों ने बहुत प्रशंसा की। तोपखाने से सच में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब मिला था।
जापानी सैनिक गैस का प्रयोग भी युद्ध में करते थे जो कि अंधा बना देती थी। गैस से बचाने के लिए आँखों पर विशेष सुरक्षा वाली वस्तु(आई सीन और आई पेट) बांधने को दी जाती थी। एक बार तो युद्ध के दौरान इनकी पूरी बटालियन में सिर्फ तीन लोगों को छोड़कर बाकी सब शहीद हो गए। ठीक उन्ही दिनों एक चिठ्ठी जिसका कोना धोखे से कट गया होगा और मुश्किल से भी पढ़ने में नहीं आ रही थी इनके घर पहुंच गयी। लोग इन्हें शहीद समझ बैठे। पूरे गाँव में हाहाकार मचना लाजमी था। इनकी पत्नी पर क्या गुजरी होगी समझा जा सकता है। इनकी पत्नी चम्पा कली ने श्रंगार उतारने से माना कर दिया और दुखी होकर एक वर्ष तक घर में लगे तुलसी के पौधे की कठोरता से पूजा करने लगी। वह जीने भर को खाती और फिर पूजा में लीन हो जाती एक साल बाद उनको बाहर से किसी ने पुकारा जब जाकर देखा तो कई ग्रामीणों के साथ आखिरकार उनका पति दुश्मनों के दाँत खट्टे करके वापस आ गया था। यह एक बड़ी घटना थी। जब इस योद्धा को घटना का पता चला तो वह अपनी पत्नी के विश्वास को देखकर खुद के आँसू रोक न पाये। वैसे तब युद्ध समाप्त हो चुका था एक सैनिक का भी और एक सती स्त्री का भी। चम्पा कली और मुकुट बिहारी ने एक दूसरे का साथ बहुत दिनों तक निभाया। चम्पा कली ने 2006 में 95 वर्ष की अवस्था में इहलोक त्याग कर दिया जबकि मुकुट बिहारी ने 2014 में।
मुकुट बिहारी त्रिवेदी ने बताया कि जब खाने का समय हो जाता था या सोने पर दुश्मन तब अधिक सक्रिय होता था। एक दिन यह और इनके दो साथी बहुत देर से गाड़ियों और मशीनों को बनाते रहे। दोपहर का समय हो चुका था। भोजन को सैनिक तैयार थे। ये और इनके दो साथी गंदे होने के कारण पड़ोस में बने तालाब में नहाने चले गए जैसे ही डुबकी लगाकर ऊपर आए इन्हें दुश्मन हवाई जहाज बम बॉडी करते दिखा इन्होंने दोनों साथियों से पानी के अंदर हो जाने का इसारा किया और विमान की ओर चीख कर ललकारते हुए, भाग कर बटालियन की ओर गए। चारों ओर शहीद सैनिक थे कोई जीवित न था। पीछे से अन्य दोनों साथी भी आ गए। विमान में कापुरुष थे जो ऐसा किया एक साथी खीझ कर चिल्लाया। साथियों को शहीद हुआ देख कर यह तीनों चिल्लाते चीखते ही रह गए। विमान बम बॉडी करके चक्कर लगाता चला गया। त्रिवेदी के अनुसार वह दृष्य उनके जीवन का सबसे अधिक दुखद दृष्य रहा। इन तीनों सिपाहियों के कपड़े तक जल चुके थे। ये तीनों सिपाही अगली रेजीमेंट तक पैदल चल दिये रास्ते में एक मिलिट्री ट्रक मिली । इन सिपाहियों ने उसे रोकने का इशारा दिया और सहायता मागी। सैन्य वाहन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। चालक ने जब वाहन नहीं रोका तो ये लोग भाग कर कट रास्ते से उस वाहन के आगे पहुच कर बीचों बीच सड़क पर लेट गए। तब उसने वाहन रोका तो इन तीनों ने स्थिति के बारे में बताया।
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