ek maulik kahani jiski shuruat" tum hi mere sacche mitra ho "say hoti ho
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तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो |
कृष्ण मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ , तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो |
यह कहानी दो दोस्तों की है , जिनकी आपस में बहुत अच्छी दोस्ती थी |
बचपन से हमेशा साथ रह है और हर दुःख-सुख में साथ रहे है | दोनों ने पढ़ाई साथ में की|
एक दिन मोहन के जीवन में उसकी एक लड़की उसकी बहुत अच्छी दोस्त बन गई | अब मोहन उसके साथ ज्यादा समय व्यतीत करता था और कृष्ण के साथ बहुत कम बात करता था| कृष्ण को इस बात बहुत दुःख होता था, लेकिन कृष्ण ने कभी-कभी भी सोहन से दोस्ती तोड़ने की या उसे छोड़ने का ख्याल कभी नहीं आया | एक दिन सोहन की माँ बहुत बीमार हो गई और सोहन घर पर नहीं था उसकी माँ ने उसे फोन किया बेटे जल्दी से आ जाओ मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है | सोहन ने अपनी दोस्त को कहा मुझे गाड़ी की जरूरत है मुझे अपनी गाड़ी दे दो पर उस लड़की ने मना कर दी | सोहन को बड़ा दुःख हुआ जब उसे जरूरत थी तो उस लड़की ने उसे मना कर दी | सोहन बड़ी लेट घर पहुंचा तो उसकी माँ घर नहीं थी कृष्ण उन्हें अस्पताल ले गया था | यह देख कर सोहन की आँखें शर्म से झुक गई और वह माफ़ी मांगने लगा और कृष्ण ने कहा हम दोस्त है रहेंगे और कोई भी हमारे बीच आ कर दोस्ती खत्म नहीं कर सकता |
" tum hi mere sacche mitra ho
एक बार की बात है राम और श्याम के स्कूल में exam चल रहा था उनका school जो की गाव से थोडा अधिक दूर पर था इसलिए राम और श्याम अपने अपने साइकिल से स्कूल जाते थे लेकिन exam के दिन राम थोडा जल्दी निकल गया तो उसकी बीच रास्ते में ही उसकी साइकिल ख़राब हो गयी राम ने बहुत कोशिश की उसका साइकिल ठीक हो जाये लेकिन तनाव की चिंता में उसका साइकिल ठीक नही हो पा रहा था और उसे स्कूल पहुचने में काफी देरी भी हो रही थी की इतने में उसका दोस्त श्याम भी अपने साइकिल से पीछे से आ गया और राम को देखकर तुरंत रुक गया.
और राम से सारा हाल पूछने लगा और जब श्याम को साइकिल ख़राब होने के बारे में पता चला तो श्याम ने तुरंत राम से कहा की यदि मेरे रहते मेरे मित्र को परेशानी हो तो फिर ये मित्रता किस काम की और इतना कहकर श्याम ने राम को अपने साइकिल ऐसे ही लेकर चलने को कहा और जब दोनों मित्र को कुछ आगे चलने पर नजदीक गाव में श्याम ने उसका साइकिल रखवा दिया और फिर दोनों एक ही साइकिल पर exam देंने गये इसके बाद तो राम ने श्याम से कहा की मित्र अगर तुम आज न होते तो मेरा exam छुट जाता इसके बाद राम ने निश्चय किया वह श्याम की दोस्ती को कभी नही भुलायेगा और वक़्त पड़ने पर श्याम के जरुर काम आयेगा, इस दिन के बाद से तो राम और श्याम की मित्रता और घहरी हो गयी,
और इस प्रकार राम और श्याम ने एक बार फिर अपने सच्ची दोस्ती को सही तरीके से निभा दिए.