Ek or bhoot questions answers
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प्रश्न-जवाब
1 ) गाँव में भूत फैलने के क्या कारण थे और उनमें कितनी सच्चाई थी ?
उतर – जागीरदार सिंह और बिन्दादीन ने मुख़्तार सिंह को जहर देकर मार दिया था। अगले दिन जागीरदार हवेली पे ताला लगाने गया और वहाँ उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद बिंदादीन को बुखार हुआ ,खून की उल्टियाँ हुई और मर गया। इसके कारण लोगो में भय फैल गया की ये सब मुख़्तार सिंह के भूत ने बदला लेने के लिए किया है। उसकी सच्चाई जानने की किसी में हिम्मत न थी। पर वे सब कुछ अंधविश्वास था।
2 ) भवानी सर को भूत की भूमिका क्यों निभानी पड़ी ?
उतर – भवानी सर को लगता था की भूत बनकर ही भूत पर रहे अंधविश्वास को मिटा सकते है । उसने विक्रम को हवेली पे जाते देख उसको जरूरी लगा की सबसे पहले विक्रम के मन का डर दूर करना चाहिए। तभी वह साहसी बनेगा और पूरे विश्वास के साथ इस अंधविश्वास को जनमानस से मिटा सकेगा।
3 ) इस उपन्यास में लेखक ने भूतों के प्रति अंधविश्वास के अतिरिक्त समाज में प्रचलित और किन-किन समस्याओं को उजागर किया है ? किन्हीं दो समस्याओं के बारे में बताइए।
उतर –भूत के प्रति अंधविश्वास के अलावा समाज में साधु महात्माओ के प्रति भी अन्धविश्वास है। एक बार एक महात्मा शिष्यों के साथ एक सेठानी के घर गए। उसने बताया की वह जेवर दुगुने कर सकते है,एक अंगूठी दो कर के बताई। सेठानी ने अंधविश्वास में आकर सारे जेवर महात्मा को दिए। उसने दुगुने भी कर दिए। पर बाद में पता चला कि वह पीतल के थे। असली जेवर महात्मा ले गए थे।गाँवो में और बहुत से आदिवासी समाजों में टोना-टोटका, ज़द-फूँक ये सब अंधविश्वास भी फैले हुए है। शहरों में भी इस पर विश्वास करनेवालों की कमी नहीं है। इलाज के लिए इसका सहारा लेते है और दर्द सहते रहते है। दुश्मनी निकलने के लिए जादू चलवाते है। दरअसल ये डर ही लोगो को कमज़ोर बना देता है और सब समझते है कि जादू का असर हो रहा है।
4) विक्रम , उसकी मित्रमंडली व भवानी सर के प्रयत्नों से बहादुरगंज के लोगो में क्या परिवर्तन आया ? अपने शब्दों में लिखिए।
उतर – विक्रम , उसकी मित्रमंडली व भवानी सर के प्रयत्नों से बहादुरगंज के लोगो में अंधविश्वास सदा के लिए मिट गया था। बच्चो में अन्धविश्वास के खिलाफ ज्यादा प्रतिक्रिया हो रही थी। लोगो को ओझा की सच्चाई पता चल चुकी थी कि उसको कुछ नहीं आता है,वह पक्का ठग है । सब समज गए थे कि अंधविश्वास डर से फैलता है। इसलिए उन्होंने बच्चों के दिल से डर निकालने की ठान ली ताकि बच्चे अंधविश्वास से दूर रहे।
5 ) पीपल को न काटने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण बताया गया है ?
उतर – वैज्ञानिक रूप से देखे तो पीपल न केवल छायादार वृक्ष है ,बल्कि इसकी पत्तियाँ ,फल , छाल वगैरह बहुत-सी उपयोगी दवाएँ बनाने के काम आते है। इसलिए वैज्ञानिक रूप से उसको न काटने की सलाह दी जाती है।
6 ) विक्रम के घर के आगे बेसन के पुतले कौन रखता था और क्यों ?
उतर – ओझा लोगो में भूत का अंधविश्वास फैला रहा था और विक्रम ने इसका विरोध किया। तब ओझा गुस्सा हो गया। ओझा की वजह से विक्रम और नारायण के बिच भी झगड़ा हो गया था। इसलिए नारायण ने ओझा को विक्रम के बारे में उल्टा-सुलटा बोला। ओझा ने बदला लेने के लिए नारायण को पुतले दिए जिससे विक्रम बीमार हो जाएगा या हड्डियाँ टूट जाएगी और वह पुतले नारायण विक्रम के घर के पास रख आया।
7 ) विक्रम के दोस्त किस कारणवश परेशान होते है ? किन्ही दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उतर –जब विक्रम ने ओझा को झूठा कहा तब ओझा गुस्सा हो गया और कहा कि लगता है तुम्हारा भी भूत उतारना पड़ेगा। ये सुनकर सब दोस्त हैरान हो गए ,कही ओझा सचमुच विक्रम के साथ कुछ कर न दे।जब विक्रम ने ओझा पे पुतले फेंककर उसका अपमान किया तब ओझा ने श्मशानभूमि में जाकर “मारक पूजा ” करने की बात की। सारे दोस्त परेशान हो गए कि कही ओज़ा ने मारक पूजा चालू कर दी तो ?8 ) किसने और किस संदर्भ में यह पंक्तियाँ कही है।
क ) “और मारो… और मारो…. मै इसी लायक हूँ। मै अपनी इस गलती की माफ़ी माँगने के लिए विक्रम को खोज रहा हूँ। “
जब नारायण ने संदीप और राजीव को बताया की विक्रम के घर के पास पुतले उसने रखे थे। तभी राजीव ने नारायण को एक चाँटा लगाया। तब नारायण ने यह वाक्य बोला क्योंकि उसको अपनी गलती का अहसास था और वह विक्रम से माफ़ी मांगना चाहता था ।
ख ) “जो व्यक्ति संकल्प लेकर किसी बात को खोजने निकलता है उसके मन में भय नहीं ,जिज्ञासा हुआ करती है। “
जब विक्रम भूत का सत्य खोजने के लिए हवेली जा रहा था तब उसके मन में कोई डर नहीं था। तब लेखक यह वाक्य विक्रम के व्यक्तित्व को बताने के लिए कह रहे थे।
ग ) “चलो भई ,खेल तो आगे बढ़ाओ। हमारी गोटियों के बिच में ओझा कहाँ से आ फँसा। “
जब सब दोस्त कैरम खेल रहे थे तब ओझा को लेकर दोस्तों में बहस शुरू हो गई। उस बात को टालने के लिए संदीप ने ये वाक्य बोला और सब हँस पड़े।
घ ) “हाँ ,बताओ क्या करना है ? आज से जोखिम का हर काम मै करूँगा ,चाहे मुझे जान की बाज़ी क्यों न लगानी पड़े। “
अंधविश्वास के खिलाफ पर्चा बाँटने की योजना में नत्थू सब जगह डर दिखा रहा था। दोस्तों ने ऐसे डरपोक को काम करने से मना कर दिया। तब नारायण ने नत्थू को हिम्मत दी । तब नत्थू ने यह वाक्य कहा।
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